बिन्दुसार मौर्य ‘अमित्रघात’ ( २९८ ई०पू० – २७२ ई०पू )

भूमिका चन्द्रगुप्त मौर्य के पश्चात् उनके पुत्र बिन्दुसार मौर्य साम्राज्य की गद्दी पर बैठे। बिन्दुसार के जीवन तथा उपलब्धियों के विषय मे हमारा ज्ञान अत्यल्प है। उसकी महानता इस तथ्य में निहित है कि उसने अपने पिता से जिस विशाल साम्राज्य को उत्तराधिकार में प्राप्त किया था उसे अक्षुण्ण बनाये रखा। सम्राट बिन्दुसार की उपलब्धियाँ […]

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मेगस्थनीज और उनकी इंडिका ( Megasthenes and His Indika )

भूमिका मेगस्थनीज ( Megasthenes) यूनानी शासक सेल्यूकस निकेटर के राजदूत के रूप में पाटलिपुत्र आये और लगभग ५ या ६ वर्षों ( ३०४ ई०पू० से २९९ ई०पू० ) तक यहाँ रहे थे। इसके पूर्व मेगस्थनीज आरकोसिया के क्षेत्र के राजसभा में सेल्युकस ( Seleucus ) के राजदूत रह चुके थे। उसने चंद्रगुप्त मौर्य के विषय

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सप्तांग सिद्धान्त : आचार्य चाणक्य

भूमिका वैदिक साहित्य तथा प्रारम्भिक धर्मसूत्रों में राज्य के छिट-फुट उल्लेख के बावजूद हमें उसकी कोई सुनिश्चित परिभाषा नहीं मिलती है। सम्भवतः इसका कारण यह है कि इस समय तक राज्य संस्था को ठोस आधार नहीं मिल पाया था। उत्तरी भारत में विशाल राजतन्त्रों की स्थापना के साथ ही राज्य के स्वरूप का निर्धारण किया

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आचार्य चाणक्य के विचार

भूमिका आचार्य चाणक्य की कृति ‘अर्थशास्त्र’ भारतीय राजशासन पर लिखी गयी प्राचीनतम् पुस्तक है। इसमें मौर्यकालीन समाज, राजव्यवस्था और अर्थव्यवस्था की जानकारी मिलती है। इसमें चाणक्य के जो विचार मिलते हैं उसमें से तो कुछ कालजयी हैं। ‘चाणक्य नीति’ तो सर्वजनीन है। प्रस्तुत है उनके कुछ विचार : समाज आचार्य चाणक्य वर्णाश्रम धर्म के पोषक

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चाणक्य और मैकियावेली

भूमिका आचार्य चाणक्य ( लगभग ३७० ई० पू० – २८३ ई० पू० ) की तुलना अक्सर आधुनिक काल के इटली मैकियावेली ( १४६९ – १५२७ ई० ) से की जाती है। आचार्य चाणक्य की कृति अर्थशास्त्र और मैकियावेली की कृति प्रिंस के विवरणों के आधार पर यह तुलना होती है। मैकियावेली का पूरा नाम ‘निकोलो

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अर्थशास्त्र : आचार्य चाणक्य (कौटिल्य) की रचना

भूमिका अर्थशास्त्र हिन्दू राजशासन या राजव्यवस्था की प्राचीनतम् रचना है। इसकी रचना चन्द्रगुप्त मौर्य के गुरु और मंत्री आचार्य चाणक्य ने की थी। इसमें १५ अधिकरण, १८० प्रकरण और ६,००० श्लोक हैं। अर्थशास्त्र ( १५ / १ ) में इसको इस तरह परिभाषित किया गया है – “मनुष्यों की वृत्ति को अर्थ कहते हैं। मनुष्यों

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आचार्य चाणक्य

भूमिका आचार्य चाणक्य भारतीय इतिहास के उन व्यक्तियों में से हैं जिनका प्रभाव किसी काल विशेष तक सीमित न होकर कालातीत है। चन्द्रगुप्त मौर्य के जीवन निर्माण में आचार्य चाणक्य का सर्वप्रमुख हाथ रहा है। वह इतिहास में विष्णुगुप्त और कौटिल्य इन दो नामों से भी जाने जाते हैं।‘चाणक्य नीति’ वर्तमान में भी प्रासंगिक हैं।

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चन्द्रगुप्त मौर्य ( ३२२/३२१ — २९८ ई०पू० ) : जीवन व कार्य

भूमिका मौर्य साम्राज्य के संस्थापक इतिहास में चन्द्रगुप्त मौर्य के नाम से विख्यात है। चन्द्रगुप्त मौर्य भारत के उन महानतम् सम्राटों में से है जिन्होंने अपने व्यक्तित्व तथा कृतित्व से इतिहास के पृष्ठों में क्रान्तिकारी परिवर्तन उत्पन्न किया है।१  Chandra Gupta’s rise to greatness is indeed a romance of history. — Age of Imperial१ चन्द्रगुप्त

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मौर्य राजवंश की उत्पत्ति या मौर्य किस वर्ण या जाति के थे?

भूमिका भारतीय इतिहास के अनेक महान् व्यक्तियों के समान चन्द्रगुप्त मौर्य का वंश भी अंधकारपूर्ण है। मौर्य राजवंश की उत्पत्ति के विषय में ब्राह्मण, बौद्ध तथा जैन ग्रन्थों में परस्पर विरोधी विवरण मिलते हैं। फलस्वरूप उनकी जाति या वर्ण का निर्धारण भारतीय इतिहास की एक जटिल समस्या है। मौर्य राजवंश की उत्पत्ति : तीन मत

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मौर्य इतिहास के स्रोत ( Sources for the History of the Mauryas )

भूमिका मौर्य इतिहास के स्रोत साहित्य और पुरातत्त्व दोनों हैं। साहित्य में स्वदेशी और विदेशी विद्वानों व इतिहासकारों की रचनाओं को सम्मिलित किया जाता है। इस तरह मौर्य राजवंश के तीन प्रकार के स्रोत हो जाते हैं। मौर्य राजवंश और तत्कालीन समाज व संस्कृति के इतिहास जानने के लिये हमें तीनों ही साधनों से पर्याप्त

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