कुषाणों का योगदान (Contribution of the Kushanas)
भूमिका मौर्यों के बाद कुषाणों ने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की। कई अर्थों में यह साम्राज्य अपने पूर्ववर्ती मौर्य साम्राज्य...
Read Moreकुषाण-शासनतंत्र (The Kushan Polity)
भूमिका कुषाण-शासनतंत्र मौर्यकालीन व्यवस्था से भिन्न थी। इसमें मौर्ययुगीन केंद्रीकरण की कठोर प्रवृत्ति के स्थान पर सत्ता का विकेंद्रीकरण ही स्पष्ट...
Read Moreकुषाण राजवंश (The Kushan Dynasty) या कुषाण साम्राज्य (The Kushan Empire)
भूमिका मौर्योत्तर काल में पश्चिमोत्तर से विदेशी आक्रमणकारियों का जो सिलसिला प्रारम्भ हुआ उसमें जो क्रम है वह इस प्रकार है...
Read Moreपह्लव या पार्थियन (The Pahalavas or the Parthians)
भूमिका पह्लवों तथा शकों का इतिहास परस्पर उलझा हुआ है। इन दोनों के इतिहास को स्पष्ट रूप से पृथक करना एक...
Read Moreशक या सीथियन (The Shakas or the Scythians)
भूमिका मौर्योत्तर काल में यवनों के बाद पश्चिमोत्तर भारत से दूसरे आक्रमणकारी शक थे। शकों ने यवनों से अधिक विस्तृत भारतीय...
Read Moreयवन प्रभाव या यवन सम्पर्क का भारत पर प्रभाव
भूमिका जब दो भिन्न संस्कृति व सभ्यता परस्पर सम्पर्क में आती हैं तो वे परस्पर क्रिया-प्रतिक्रिया द्वारा प्रभावित होती भी हैं...
Read Moreहिन्द-यवन या भारतीय-यूनानी या इंडो-बैक्ट्रियन(The Indo-Greeks or Indo-Bactrians)
भूमिका मौर्योत्तर काल में पश्चिमोत्तर में विदेशी आक्रमण का जो दौर प्रारम्भ हुआ उसमें सबसे पहले आक्रमणकारी युनानी थे। इन युनानी...
Read Moreकलिंग नरेश खारवेल या कलिंग का चेदि राजवंश
भूमिका मौर्य सम्राट अशोक ने भीषण युद्ध के पश्चात् कलिंग को जीतकर (२६१ ई०पू०) अपने साम्राज्य में सम्मिलित कर लिया था।...
Read Moreसातवाहनयुगीन संस्कृति
भूमिका लगभग तीन शताब्दियों तक दक्षिणापथ की राजनीति में सातवाहन राजवंश की सत्ता किसी न किसी रूप में बनी रही। उनके...
Read Moreसातवाहनकालीन भौतिक संस्कृति के तत्त्व
भूमिका सातवाहन काल में दकन की भौतिक संस्कृति में स्थानीय और उत्तर भारतीय तत्त्वों दोनों का सम्मिश्रण देखने को मिलता है।...
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