संगम साहित्य का ऐतिहासिक महत्त्व
भूमिका ऐतिहासिक युग के प्रारम्भ में दक्षिण भारत का क्रमबद्ध इतिहास हमें जिस साहित्य से ज्ञात होता है उसे ‘संगम साहित्य’...
Read Moreपदिनेनकीलकनक्कु (Padinenkilkanakku) : अष्टादश लघु शिक्षाप्रद कविताएँ (The Eighteen Minor Didactic Poems)
भूमिका ‘पदिनेनकीलकनक्कु’ या ‘पदिनेनकीलकणक्कु’ अष्टादश लघु शिक्षाप्रद कविताएँ (The Eighteen Minor Didactic Poems) हैं, अर्थात् यह १८ लघु कविताओं का संग्रह...
Read Moreपत्तुपात्तु या दस-गीत (Pattuppattu : The Ten Idylls)
भूमिका पत्तुपात्तु में दस कविताओं का संग्रह है। इनमें दो नक्कीरर, दो रुद्रनकन्ननार तथा बाद के छः पद क्रमशः मरुथनार (Maruthanar),...
Read Moreएत्तुथोकै या अष्टसंग्रह (Ettuthokai or The Eight Collections)
भूमिका एत्तुथोकै की रचना पहले से चली आ रही तमिल कविता परंपरा का ही अगला चरण था। तोलकाप्पियम् में अंतिम रूप...
Read Moreतोलकाप्पियम् (Tolkappiyam) – तोल्काप्पियर
भूमिका चूँकि तोलकाप्पियम् एक व्याकरण सम्बन्धी ग्रन्थ है, इसलिए स्पष्ट है कि इससे पहले सदियों तक साहित्यिक गतिविधियाँ हुई होगी। इसकी...
Read Moreजीवक चिन्तामणि (Jivaka Chintamani)
भूमिका जीवक चिन्तामणि संगमकाल के बहुत बाद की रचना है। इसकी रचना का श्रेय जैन भिक्षु तिरुत्तक्कदेवर को दिया जाता है।...
Read Moreमणिमेकलै (मणि-युक्त कंगन) / Manimekalai
भूमिका मणिमेकलै का अर्थ है— मणियुक्त कंगन या मणियों की मेखला। यह शिलप्पादिकारम् की कथा को आगे बढ़ाती है। यह एक...
Read Moreशिलप्पदिकारम् (नूपुर की कहानी) / Shilappadikaram (The Ankle Bracelet)
भूमिका सिलप्पदिकारम् / शिलप्पदिकारम् (Silappadikaram / Shilappadikaram) एक अद्वितीय रचना है। दुर्भाग्यवंश इसके लेखक तथा समय के विषय में कुछ निश्चित...
Read Moreतृतीय संगम या तृतीय तमिल संगम
भूमिका ८वीं शताब्दी में इरैयनार अगप्पोरुल (Iraiyanar Agappaorul) के भाष्य की भूमिका में हमें तीन संगमों का विवरण मिलता है। इसके...
Read Moreद्वितीय संगम या द्वितीय तमिल संगम
भूमिका ८वीं शताब्दी में इरैयनार अगप्पोरुल (Iraiyanar Agappaorul) के भाष्य की भूमिका में हमें तीन संगमों का विवरण प्राप्त होता है।...
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