कुषाणकालीन कला एवं स्थापत्य
भूमिका कुषाणकालीन कला एवं स्थापत्य ने अपनी उपलब्धियों से चमत्कृत कर दिया। अपने पूर्ववर्ती समय की ही तरह कला और स्थापत्य...
Read Moreगान्धार कला शैली
भूमिका ई० पू० प्रथम शताब्दी के मध्य से उत्तर-पश्चिम में गान्धार में कला की एक विशेष शैली का विकास हुआ जिसे...
Read Moreकनिष्क विद्वानों का संरक्षक और उसके समय साहित्यिक प्रगति
भूमिका कनिष्क विद्वानों का संरक्षक का संरक्षक था। उसका शासन-काल साहित्य की उन्नति के लिये भी प्रसिद्ध है। वह विद्या का...
Read Moreबौद्ध धर्म और कनिष्क
भूमिका कुषाण साम्राज्य में मध्य एशिया से पूर्वी भारत तक समाहित था। इस विस्तृत प्रदेश में बौद्ध धर्म का पर्याप्त प्रचार-प्रसार...
Read Moreकुषाणकालीन आर्थिक समृद्धि या कुषाणकाल में व्यापार-वाणिज्य की प्रगति
भूमिका कुषाणकालीन आर्थिक समृद्धि भारतीय इतिहास में अपना विशेष स्थान रखती है। भारत पर लगभग दो शताब्दियों तक कुषाणों का दीर्घकालिक...
Read Moreकुषाणों का योगदान (Contribution of the Kushanas)
भूमिका मौर्यों के बाद कुषाणों ने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की। कई अर्थों में यह साम्राज्य अपने पूर्ववर्ती मौर्य साम्राज्य...
Read Moreकुषाण-शासनतंत्र (The Kushan Polity)
भूमिका कुषाण-शासनतंत्र मौर्यकालीन व्यवस्था से भिन्न थी। इसमें मौर्ययुगीन केंद्रीकरण की कठोर प्रवृत्ति के स्थान पर सत्ता का विकेंद्रीकरण ही स्पष्ट...
Read Moreकुषाण राजवंश (The Kushan Dynasty) या कुषाण साम्राज्य (The Kushan Empire)
भूमिका मौर्योत्तर काल में पश्चिमोत्तर से विदेशी आक्रमणकारियों का जो सिलसिला प्रारम्भ हुआ उसमें जो क्रम है वह इस प्रकार है...
Read Moreपह्लव या पार्थियन (The Pahalavas or the Parthians)
भूमिका पह्लवों तथा शकों का इतिहास परस्पर उलझा हुआ है। इन दोनों के इतिहास को स्पष्ट रूप से पृथक करना एक...
Read Moreशक या सीथियन (The Shakas or the Scythians)
भूमिका मौर्योत्तर काल में यवनों के बाद पश्चिमोत्तर भारत से दूसरे आक्रमणकारी शक थे। शकों ने यवनों से अधिक विस्तृत भारतीय...
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