आदर्श :— ऋग्वेद का श्लोक “आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः” मेरा ध्येय वाक्य है। ठेठ भाषा में कहें तो ‘दिमाग की खिड़की खुली रखो’।
कार्यक्षेत्र :— इस वेबसाइट पर आपको प्रतियोगी परीक्षा सम्बंधित सामग्री मिलेगी विशेषकर संघ व राज्य लोक सेवा परीक्षा की।
मेरी रुचि इतिहास, भारतीय सभ्यता और संस्कृति एवं हिन्दी भाषा में रही है।
शुरुआत मैंने भारतीय सभ्यता और संस्कृति से की है। धीरे-धीरे अन्य विषयों पर भी लिखने का प्रयास करूँगा।
इस विषय पर मैंने अपनी क्षमतानुसार सरल और सारगर्भित सामग्री प्रस्तुत करने का विनम्र प्रयास किया है।
आपके सुझाव का स्वागत है।