अशोक का धम्म

भूमिका अशोक का धम्म ही वह तत्व है जो इतिहास में उसे सभी शासकों से अलग श्रेणी में लाकर खड़ा देता है। अपनी प्रजा के नैतिक उत्थान के लिये इतना प्रयास? इतनी कर्मठता? यहाँ तक की जीवमात्र लिये करुणा भाव। धम्म पर सर्वांगीण विचार करने से पहले हम सभी पहलुओं को जान लेते हैं, यथा …

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कलिंग युद्ध : कारण और परिणाम (२६१ ई०पू०)

भूमिका अपने राज्याभिषेक के बाद अशोक ने अपने पिता एवं पितामह की दिग्विजय की नीति का अनुसरण किया। इस समय कलिंग का राज्य मगध साम्राज्य की प्रभुसत्ता को चुनौती दे रहा था। कलिंग युद्ध सम्राट अशोक के राज्याभिषेक के ८वें वर्ष हुआ था। इसका विवरण अशोक के १३वें बृहद् शिला प्रज्ञापन में मिलता है। [ …

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अशोक ‘प्रियदर्शी’ (२७३-२३२ ई० पू०)

भूमिका बिन्दुसार की मृत्यु के पश्चात् उनके सुयोग्य और सुपात्र पुत्र अशोक ‘प्रियदर्शी’ विशाल मौर्य साम्राज्य की गद्दी पर बैठे। अशोक ‘प्रियदर्शी’ विश्व इतिहास के उन महानतम् सम्राटों में अपना सर्वोपरि स्थान रखते हैं जिन्होंने अपने युग पर अपने व्यक्तित्व की छाप लगा दी और भावी पीढ़ियाँ जिनका नाम अत्यन्त श्रद्धा एवं कृतज्ञता के साथ …

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बिन्दुसार मौर्य ‘अमित्रघात’ ( २९८ ई०पू० – २७२ ई०पू )

भूमिका चन्द्रगुप्त मौर्य के पश्चात् उनके पुत्र बिन्दुसार मौर्य साम्राज्य की गद्दी पर बैठे। बिन्दुसार के जीवन तथा उपलब्धियों के विषय मे हमारा ज्ञान अत्यल्प है। उसकी महानता इस तथ्य में निहित है कि उसने अपने पिता से जिस विशाल साम्राज्य को उत्तराधिकार में प्राप्त किया था उसे अक्षुण्ण बनाये रखा। सम्राट बिन्दुसार की उपलब्धियाँ …

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मेगस्थनीज और उनकी इंडिका ( Megasthenes and His Indika )

भूमिका मेगस्थनीज ( Megasthenes) यूनानी शासक सेल्यूकस निकेटर के राजदूत के रूप में पाटलिपुत्र आये और लगभग ५ या ६ वर्षों ( ३०४ ई०पू० से २९९ ई०पू० ) तक यहाँ रहे थे। इसके पूर्व मेगस्थनीज आरकोसिया के क्षेत्र के राजसभा में सेल्युकस ( Seleucus ) के राजदूत रह चुके थे। उसने चंद्रगुप्त मौर्य के विषय …

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सप्तांग सिद्धान्त : आचार्य चाणक्य

भूमिका वैदिक साहित्य तथा प्रारम्भिक धर्मसूत्रों में राज्य के छिट-फुट उल्लेख के बावजूद हमें उसकी कोई सुनिश्चित परिभाषा नहीं मिलती है। सम्भवतः इसका कारण यह है कि इस समय तक राज्य संस्था को ठोस आधार नहीं मिल पाया था। उत्तरी भारत में विशाल राजतन्त्रों की स्थापना के साथ ही राज्य के स्वरूप का निर्धारण किया …

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आचार्य चाणक्य के विचार

भूमिका आचार्य चाणक्य की कृति ‘अर्थशास्त्र’ भारतीय राजशासन पर लिखी गयी प्राचीनतम् पुस्तक है। इसमें मौर्यकालीन समाज, राजव्यवस्था और अर्थव्यवस्था की जानकारी मिलती है। इसमें चाणक्य के जो विचार मिलते हैं उसमें से तो कुछ कालजयी हैं। ‘चाणक्य नीति’ तो सर्वजनीन है। प्रस्तुत है उनके कुछ विचार : समाज आचार्य चाणक्य वर्णाश्रम धर्म के पोषक …

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चाणक्य और मैकियावेली

भूमिका आचार्य चाणक्य ( लगभग ३७० ई० पू० – २८३ ई० पू० ) की तुलना अक्सर आधुनिक काल के इटली मैकियावेली ( १४६९ – १५२७ ई० ) से की जाती है। आचार्य चाणक्य की कृति अर्थशास्त्र और मैकियावेली की कृति प्रिंस के विवरणों के आधार पर यह तुलना होती है। मैकियावेली का पूरा नाम ‘निकोलो …

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अर्थशास्त्र : आचार्य चाणक्य (कौटिल्य) की रचना

भूमिका अर्थशास्त्र हिन्दू राजशासन या राजव्यवस्था की प्राचीनतम् रचना है। इसकी रचना चन्द्रगुप्त मौर्य के गुरु और मंत्री आचार्य चाणक्य ने की थी। इसमें १५ अधिकरण, १८० प्रकरण और ६,००० श्लोक हैं। अर्थशास्त्र ( १५ / १ ) में इसको इस तरह परिभाषित किया गया है – “मनुष्यों की वृत्ति को अर्थ कहते हैं। मनुष्यों …

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आचार्य चाणक्य

भूमिका आचार्य चाणक्य भारतीय इतिहास के उन व्यक्तियों में से हैं जिनका प्रभाव किसी काल विशेष तक सीमित न होकर कालातीत है। चन्द्रगुप्त मौर्य के जीवन निर्माण में आचार्य चाणक्य का सर्वप्रमुख हाथ रहा है। वह इतिहास में विष्णुगुप्त और कौटिल्य इन दो नामों से भी जाने जाते हैं।‘चाणक्य नीति’ वर्तमान में भी प्रासंगिक हैं। …

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