गुप्त साम्राज्य का पतन | गुप्त साम्राज्य के पतन के कारण

भूमिका दो शताब्दियों के निरन्तर उत्थान के पश्चात् शक्तिशाली गुप्त साम्राज्य का छठी शताब्दी के मध्य तक पतन होना एक युगान्तरकारी ऐतिहासिक घटना है। गुप्त साम्राज्य इस वंश के अन्तिम महान् शासक स्कन्दगुप्त की ४६७ ईस्वी में मृत्यु के पश्चात् पतन की दिशा में तेजी से उन्मुख हुआ। यद्यपि स्कन्दगुप्त के उत्तराधिकारियों ने किसी न […]

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विष्णुगुप्त (≈५४३ ई० – ५५० ई०)

भूमिका कुमारगुप्त तृतीय के बाद विष्णुगुप्त () शासक बना। वह ५४३ ई० में शासक बना और ५५० ईस्वी तक राज्य करता रहा। इसके बाद गुप्त साम्राज्य पूर्णतया छिन्न-भिन्न हो गया। संक्षिप्त परिचय नाम विष्णुगुप्त पिता कुमारगुप्त (तृतीय) माता — पत्नी — पुत्र — पूर्ववर्ती शासक कुमारगुप्त (तृतीय) उत्तराधिकारी गुप्त राजवंश का अंतिम ज्ञात शासक शासनकाल

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कुमारगुप्त तृतीय (≈ ५३० ई० – ५४३ ई०)

भूमिका नरसिंहगुप्त बालादित्य के बाद उसका पुत्र कुमारगुप्त () तृतीय मगध का राजा बना। उसके माता का नाम महादेवी मित्रदेवी मिलता है। संक्षिप्त परिचय नाम कुमारगुप्त (तृतीय) पिता नरसिंहगुप्त बालादित्य माता मित्रदेवी पत्नी — पुत्र विष्णुगुप्त पूर्ववर्ती शासक नरसिंहगुप्त बालादित्य उत्तराधिकारी विष्णुगुप्त शासनकाल ≈ ५३० ई० से ५४३ ई० तक उपाधि परमभागवत, महाराजाधिराज अभिलेख भीतरी

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वैन्यगुप्त (५०७ ई०)

भूमिका वैन्यगुप्त के विषय में हमारी जानकारी का मुख्य स्रोत वर्तमान बाँग्लादेश के कोमिल्ला में स्थित गुणैधर का ताम्रपत्र और नालन्दा से मिली एक मुहर है। संक्षिप्त परिचय नाम वैन्यगुप्त पिता पूरुगुप्त माता चन्द्रदेवी (?) पत्नी — पुत्र — पूर्ववर्ती शासक — उत्तराधिकारी — शासनकाल ५०७ ई० से ? उपाधि भगवन्यमहादेवपादानुध्यातो, परमभागवत, महाराज, महाराजाधिराज अभिलेख

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भानुगुप्त (५१० ई०)

भूमिका ५१० ई० में हम मालवा पर भानुगुप्त को शासन करता हुआ पाते हैं। गुप्त राजवंश से इसका सम्बन्ध अस्पष्ट है। इसका जानकारी का स्रोत इसी का एरण स्तम्भ-लेख और बौद्ध ग्रन्थ आर्यश्रीमूलकल्प है। संक्षिप्त परिचय नाम भानुगुप्त पिता — माता — पत्नी — पुत्र — पूर्ववर्ती शासक — उत्तराधिकारी — शासनकाल ५१० ई० से

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नरसिंहगुप्त ‘बालादित्य’ (४९५ ई० से लगभग ५३० ई०)

नरसिंहगुप्त () बुधगुप्त की मृत्यु के बाद शासक बना। यह पुरुगुप्त का पुत्र और बुधगुप्त का छोटा भाई था। इसकी उपाधि बालादित्य () मिलती है। संक्षिप्त परिचय नाम नरसिंहगुप्त पिता पुरुगुप्त माता चन्द्रदेवी पत्नी मित्रदेवी पुत्र कुमारगुप्त तृतीय पूर्ववर्ती शासक बुधगुप्त उत्तराधिकारी कुमारगुप्त तृतीय शासनकाल ४९५ ई० से ५३० ई० (?) उपाधि महाराजाधिराज, परमभागवत, बालादित्य

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बुधगुप्त (४७६-४९५ ई०)

कुमारगुप्त द्वितीय के अनन्तर बुधगुप्त () शासक हुआ। परवर्ती गुप्त शासकों में बुधगुप्त सर्वाधिक शक्तिशाली शासक था। संक्षिप्त परिचय नाम बुधगुप्त पिता पुरुगुप्त माता — पत्नी — पुत्र — पूर्ववर्ती शासक कुमारगुप्त द्वितीय उत्तराधिकारी नरसिंहगुप्त शासनकाल ४७६ से ४९५ ई० उपाधि परमभट्टारक, महाराजाधिराज, परमदैवत, परमभागवत, श्रीविक्रम अभिलेख सारनाथ बुद्ध-मूर्ति-लेख; गुप्त सम्वत् १५७ (४७६ ई०) पहाड़पुर

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कुमारगुप्त द्वितीय (४७३ ई०)

भूमिका पुरुगुप्त के बाद सम्भवतया कुमारगुप्त द्वितीय कुछ समय के लिए स्वतंत्र शासक बना था। उसका इतिहास बहुत ही उलझा हुआ है। गुप्त लिपि में कुमारगुप्त () इस तरह अंकित है। संक्षिप्त परिचय नाम कुमारगुप्त (द्वितीय) पिता — माता — पत्नी — पुत्र — पूर्ववर्ती शासक पुरुगुप्त उत्तराधिकारी बुधगुप्त शासनकाल ४७३ से ४७६ ई० उपाधि

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पुरुगुप्त (४६७-४७६ ईस्वी)

भूमिका स्कन्दगुप्त की मृत्यु के पश्चात् गुप्त साम्राज्य का पतन प्रारम्भ हो गया। उपलब्ध प्रमाणों के आधार पर स्कन्दगुप्त के उत्तराधिकारियों का क्रम निर्धारित करना एक कठिन समस्या है। स्कन्दगुप्त के बाद उसका सौतेला भाई पुरुगुप्त गुप्त सम्राट बना। संक्षिप्त परिचय नाम पुरुगुप्त या पूरुगुप्त पिता कुमारगुप्त प्रथम माता अनन्तदेवी पत्नी चन्द्र देवी पुत्र बुधगुप्त

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स्कन्दगुप्त ‘क्रमादित्य’ (≈ ४५५-४६७ ईस्वी)

भूमिका कुमारगुप्त प्रथम की मृत्यु के पश्चात् गुप्त साम्राज्य की बागडोर उसके सुयोग्य पुत्र स्कन्दगुप्त () के हाथों में आयी। जूनागढ़ अभिलेख में उसके शासन की प्रथम तिथि गुप्त सम्वत् १३६ (= ४५५ ईस्वी) उत्कीर्ण मिलती है। गढ़वा अभिलेख तथा चाँदी के सिक्कों में उसकी अन्तिम तिथि गुप्त संवत् १४८ (= ४६७ ईस्वी) अंकित है।

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