मौर्योत्तर काल में विदेशियों के सामाजिक आत्मसातीकरण में धर्म की भूमिका
भूमिका मौर्योत्तर काल में विदेशियों के सामाजिक आत्मसातीकरण इतिहास की एक प्रमुख घटना थी। विदेशी शासकों का अपना कोई धर्म नहीं था। अतः भारत में बस जाने के उपरान्त उनकी प्रवृत्ति वैष्णव, शैव तथा बौद्ध धर्मों में हुई जो उस समय समाज में प्रतिष्ठित हो चुके थे। भक्ति भावना का उदय हो चुका था तथा […]
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