प्राचीन भारतीय इतिहास

यौधेय गणराज्य

भूमिका यौधेय एक प्राचीन सैन्य गणसंघ था। इन्हें यौधेय गण, यौधेय गणराज्य और यौधेय गणसंघ कहते हैं। यौधेय गणराज्य सतलुज नदी के पूर्वी क्षेत्र में स्थित था। स्रोत यौधेय गणराज्य के इतिहास का ज्ञान हमें साहित्यों और पुरातत्त्व दोनों से मिलता है। इनके विवेकपूर्ण उपयोग से यौधेय इतिहास का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। […]

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अर्जुनायन गणराज्य

भूमिका अर्जुनयान (Arjunayana) एक प्राचीन गणराज्य था। अर्जुनायन गणराज्य पंजाब अथवा उत्तर-पूर्वी राजस्थान में स्थित था। इनकी शासन व्यवस्था गणतंत्रात्मक थी। अर्जुनायन गण मौर्योत्तर काल में एक शक्ति के रूप उभरे। इनका उल्लेख हमें समुद्रगुप्त के प्रयाग प्रशस्ति में मिलता है। गुप्तकाल के ज्योतिषविद् वाराहमिहिर की कृति बृहत्संहिता में इनका उल्लेख मिलता है। डॉ० बुद्ध

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मालव गणराज्य

भूमिका मालव (Malava) एक प्राचीन भारतीय जनजाति थी। लम्बे समय तक उनके अधिवास के कारण पंजाब और मध्य भारत में मालवा क्षेत्र का नाम उनके नाम पर रखा गया है। कुछ विद्वान मालव सम्वत् (विक्रम सम्वत्) को प्रचलित करने का श्रेय मालवों को देते हैं, परन्तु (सम्भवतः) मालवों के द्वारा इसके प्रयोग और मालवा से

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शालंकायन वंश (Shalankayana Dynasty)

भूमिका गुप्त-पूर्व और गुप्तकाल में कृष्णा और गोदावरी के बीच शासन करनेवाले शालंकायन वंश के सम्बन्ध में जानकारी मिलती है। उनके समय में तेलुगु की लिपि अन्य दक्षिण भारतीय और उत्तर भारतीय भाषाओं से स्पष्ट रूप से भिन्न होने लगी। उन्होंने कई शिलालेख जारी किये, जैसे – कनकोल्लू अभिलेख (Kanakollu inscription) और गुंटापल्ली अभिलेख (Guntapalli

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बृहत्पलायन वंश या बृहत्फलायन वंश

भूमिका बृहत्पलायन (Bruhat Palayana) / बृहत्फलायन (Brihatphalayana) वंश एक प्राचीन भारतीय राजवंश था जो वर्तमान आंध्र प्रदेश राज्य में निचली कृष्णा नदी घाटी के आसपास मसूलीपट्टनम् व गुंटूर भू-भाग पर विस्तृत था। बृहत्पलायन को बृहत्फलायन वंश भी कहा जाता है। बृहद्-पलायन (Bruhat Palayana) दो शब्दों से मिलकर बना है — बृहत् (विशाल) + पलायन (चलना)।

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चुटु राजवंश या चुटुशातकर्णि राजवंश

भूमिका चुटु राजवंश (Chutu Dynasty) ने गुप्त-पूर्व काल में तृतीय शताब्दी ई० में दक्षिण भारत के दक्कन क्षेत्र के कुछ हिस्सों पर शासन किया। महाराष्ट्र तथा कुन्तल प्रदेश के ऊपर तीसरी शती में चुटुशातकर्णि वंश का शासन स्थापित हुआ। इनकी राजधानी वर्तमान कर्नाटक राज्य के बनवासी (Banavasi) में थी। ये सातवाहनों के सामन्त थे। सातवाहनों

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आंध्र इक्ष्वाकु या विजयपुरी के इक्ष्वाकु

भूमिका इक्ष्वाकु वंश को पौराणिक इक्ष्वाकु से पार्थक्य और भ्रम से बचने के लिए “आंध्र इक्ष्वाकु” या “विजयपुरी के इक्ष्वाकु” के नाम से भी जाना जाता है। पुराणों में उन्हें श्रीपर्वतीय / श्रीपर्वतीय आंध्र (श्रीपर्वत का शासक) तथा ‘आन्ध्रभृत्य’ (आन्ध्रों का भृत्य / नौकर) कहा गया है। प्रसंगवश सातवाहनों के लिए भी पुराणों में ‘आन्ध्रभृत्य’

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आभीर राजवंश (Abhira dynasty)

भूमिका आभीर राजवंश (Abhira dynasty) ने पश्चिमी दक्कन पर शासन किया। यह राजवंश सातवाहनों के ध्वंशावशेष पर स्थापित हुआ। गुप्त-पूर्व काल में आभीरों ने एक स्वतंत्र राज्य महाराष्ट्र, कोंकण, गुजरात और दक्षिणी मध्य प्रदेश के हिस्सों में था। उद्भव यद्यपि प्राचीन भारतीय साहित्य में आभीरों का उल्लेख मिलता है, तथापि उनकी उत्पत्ति अस्पष्ट है। महाभारत

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मघ राजवंश

भूमिका नागों की राजधानी प‌द्मावती (ग्वालियर) के दक्षिण-पूर्व में मघों का राज्य स्थित था। पहले उसका राज्य केवल बघेलखण्ड (रीवाँ मंडल) तक ही सीमित था। मघवंश के राजाओं का क्रमबद्ध इतिहास तथा उनके काल की घटनाओं के विषय में हमारा ज्ञान अत्यल्प है। कौशाम्बी में २५० ई० तक मघ राजवंश ने शासन किया। विवरण इस

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बड़वा का मौखरि वंश (Maukhari Dynasty of Barwa)

भूमिका मौखरियों की उत्पत्ति तथा प्रारम्भिक इतिहास अभी तक अंधकारपूर्ण है। ऐसा प्रतीत होता है कि मौखरि लोग पूर्व-गुप्तकाल की राजनीतिक शक्तियों में से  एक थे। प्राचीन भारत में कई मौखरि कुल हुए जो विभिन्न भागों में शासन करते थे। इन्हीं में से एक शाखा बड़वा में शासन करती थी इसलिए उन्हें ‘बड़वा का मौखरि

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