प्राचीन भारतीय इतिहास

लिच्छवि गणराज्य

भूमिका महाजनपदकाल में हमें १६ महाजनपदों का उल्लेख मिलता है। इन षोडश महाजनपदों में से चतुर्दश की शासन व्यवस्था राजतंत्रात्मक थी और दो की गणतंत्रात्मक। ये दो गणतंत्रात्क राजव्यवस्था वाले महाजनपद थे- मल्ल और वज्जि। वज्जि ८ राज्यों का संघ था। इन आठ राज्यों के नाम हैं- वज्जि, लिच्छवि, विदेह, ज्ञातृक, उग्र, भोग, इक्ष्वाकु और […]

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शिबि या शिवि

भूमिका शिवि (शिबि) प्राचीन भारत में एक महत्त्वपूर्ण गणराज्य था। ३२६ ईसा पूर्व में सिकंदर के भारत पर आक्रमण के समय शिबि गणराज्य झेलम तथा चिनाब के संगम के निचले भाग पर स्थित था। ये मालव गणराज्य के पड़ोसी थे। यूनानी इन्हें ही सिबोई (Siboi) कहते है। इन्हें चीनी यात्री फाहियान द्वारा सिविकस (Sivikas) के

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कुणिंद गणराज्य

भूमिका कुणिंद (Kuninda) एक प्राचीन गणराज्य था। कुणिंदों का उल्लेख मौर्योत्तर काल से लेकर गुप्त-पूर्व काल तक मिलता है। अर्थात् मोटोतौर पर इनका समय हम लगभग द्वितीय शताब्दी ई०पू० से तृतीय शताब्दी ई० के मध्य रख सकते हैं। इनका गणराज्य सतलुज और व्यास के मध्य स्थित था। कुणिंदों के नाम के विभिन्न वर्तनी रूप या

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यौधेय गणराज्य

भूमिका यौधेय एक प्राचीन सैन्य गणसंघ था। इन्हें यौधेय गण, यौधेय गणराज्य और यौधेय गणसंघ कहते हैं। यौधेय गणराज्य सतलुज नदी के पूर्वी क्षेत्र में स्थित था। स्रोत यौधेय गणराज्य के इतिहास का ज्ञान हमें साहित्यों और पुरातत्त्व दोनों से मिलता है। इनके विवेकपूर्ण उपयोग से यौधेय इतिहास का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।

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अर्जुनायन गणराज्य

भूमिका अर्जुनयान (Arjunayana) एक प्राचीन गणराज्य था। अर्जुनायन गणराज्य पंजाब अथवा उत्तर-पूर्वी राजस्थान में स्थित था। इनकी शासन व्यवस्था गणतंत्रात्मक थी। अर्जुनायन गण मौर्योत्तर काल में एक शक्ति के रूप उभरे। इनका उल्लेख हमें समुद्रगुप्त के प्रयाग प्रशस्ति में मिलता है। गुप्तकाल के ज्योतिषविद् वाराहमिहिर की कृति बृहत्संहिता में इनका उल्लेख मिलता है। डॉ० बुद्ध

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मालव गणराज्य

भूमिका मालव (Malava) एक प्राचीन भारतीय जनजाति थी। लम्बे समय तक उनके अधिवास के कारण पंजाब और मध्य भारत में मालवा क्षेत्र का नाम उनके नाम पर रखा गया है। कुछ विद्वान मालव सम्वत् (विक्रम सम्वत्) को प्रचलित करने का श्रेय मालवों को देते हैं, परन्तु (सम्भवतः) मालवों के द्वारा इसके प्रयोग और मालवा से

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शालंकायन वंश (Shalankayana Dynasty)

भूमिका गुप्त-पूर्व और गुप्तकाल में कृष्णा और गोदावरी के बीच शासन करनेवाले शालंकायन वंश के सम्बन्ध में जानकारी मिलती है। उनके समय में तेलुगु की लिपि अन्य दक्षिण भारतीय और उत्तर भारतीय भाषाओं से स्पष्ट रूप से भिन्न होने लगी। उन्होंने कई शिलालेख जारी किये, जैसे – कनकोल्लू अभिलेख (Kanakollu inscription) और गुंटापल्ली अभिलेख (Guntapalli

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बृहत्पलायन वंश या बृहत्फलायन वंश

भूमिका बृहत्पलायन (Bruhat Palayana) / बृहत्फलायन (Brihatphalayana) वंश एक प्राचीन भारतीय राजवंश था जो वर्तमान आंध्र प्रदेश राज्य में निचली कृष्णा नदी घाटी के आसपास मसूलीपट्टनम् व गुंटूर भू-भाग पर विस्तृत था। बृहत्पलायन को बृहत्फलायन वंश भी कहा जाता है। बृहद्-पलायन (Bruhat Palayana) दो शब्दों से मिलकर बना है — बृहत् (विशाल) + पलायन (चलना)।

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चुटु राजवंश या चुटुशातकर्णि राजवंश

भूमिका चुटु राजवंश (Chutu Dynasty) ने गुप्त-पूर्व काल में तृतीय शताब्दी ई० में दक्षिण भारत के दक्कन क्षेत्र के कुछ हिस्सों पर शासन किया। महाराष्ट्र तथा कुन्तल प्रदेश के ऊपर तीसरी शती में चुटुशातकर्णि वंश का शासन स्थापित हुआ। इनकी राजधानी वर्तमान कर्नाटक राज्य के बनवासी (Banavasi) में थी। ये सातवाहनों के सामन्त थे। सातवाहनों

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आंध्र इक्ष्वाकु या विजयपुरी के इक्ष्वाकु

भूमिका इक्ष्वाकु वंश को पौराणिक इक्ष्वाकु से पार्थक्य और भ्रम से बचने के लिए “आंध्र इक्ष्वाकु” या “विजयपुरी के इक्ष्वाकु” के नाम से भी जाना जाता है। पुराणों में उन्हें श्रीपर्वतीय / श्रीपर्वतीय आंध्र (श्रीपर्वत का शासक) तथा ‘आन्ध्रभृत्य’ (आन्ध्रों का भृत्य / नौकर) कहा गया है। प्रसंगवश सातवाहनों के लिए भी पुराणों में ‘आन्ध्रभृत्य’

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