विदेशी आक्रमण का प्रभाव या मध्य एशिया से सम्पर्क का प्रभाव (२०० ई०पू० – ३०० ई०)
भूमिका मौर्योत्तर काल (२०० ई०पू० – ३०० ई०) की एक प्रमुख विशेषता है ‘विदेशी आक्रमण’ जनित भारतीय सभ्यता पर पड़ने वाले प्रभाव और उनका भारतीय समाज में आत्मसातीकरण। मौर्य साम्राज्य के पतन के पश्चात् भारत में विदेशी आक्रमणों का दौर प्रारम्भ हुआ। अब आने वाले आक्रमणकारी— यवन, शक, पहृव, कुषाण आदि भारत के विभिन्न भागों […]
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