शैव धर्म के प्रमुख सम्प्रदाय
पाशुपत, कापालिक, लिंगायत, कश्मीरी शैव, नाथ पंथ आदि शैव सम्प्रदाय के प्रमुख उप-समूह हैं।
पाशुपत, कापालिक, लिंगायत, कश्मीरी शैव, नाथ पंथ आदि शैव सम्प्रदाय के प्रमुख उप-समूह हैं।
कर्मकाण्डीय और ज्ञानमार्गीय धर्मों के सामंजस्य से महाकाव्यों ने एक लोकधर्म का विकास किया जो सर्वजन सुलभ था। इसमें वैदिक और अवैदिक विश्वासों का समावेश दिखता है।
इस लेख में हड़प्पा / सैंधव काल की धार्मिक विशेषताओं का संक्षिप्त विवेचन का प्रयास किया गया है।
धर्म का भारतीय सभ्यता और संस्कृति में विशेष स्थान है। धर्म का इतिहास उतना ही पुरातन है जितना कि मानव सभ्यता का।
शिव से सम्बंधित धर्म को “शैव धर्म” और उनकी इष्ट मानकर पूजा करनेवाले “शैव” कहलाये। इस घर्म की प्राचीनता प्रागैतिहासिक काल तक जाती है। वर्तमान में ब्रह्मा और विष्णु के साथ शिव त्रिदेवों में सम्मिलित हैं। इनसे सम्बंधित व्रत महाशिवरात्रि और सोमवार है। तीसरे वर्ष मलमास लगता है। शिव में आर्य और आर्येत्तर तत्वों का समामेलन मिलता है। शिव की पूजा भारत में आसेतुहिमालय तक होती है।
वैष्णव धर्म में विष्णु के १० अवतारों में श्रीराम और श्रीकृष्ण सर्वाधिक लोकप्रिय हैं। इसमें अवतारवाद का विशेष महत्व है। सज्जनों की रक्षा , दुर्जनों का विनाश करने और धर्म की स्थापना के लिए भगवान समय समय पर अवतार लेते हैं।
वैदिक धर्म की अपेक्षा पौराणिक धर्म सरल और लोकप्रिय था। इसमें भेदभावरहित सभी को मोक्ष का अधिकार था। इसमें भक्ति को अधिक महत्व दिया गया है।
वैदिक काल की धार्मिक दशा का विश्लेषण करने का विनम्र प्रयास है।
इस लेख में प्राचीन भारत के प्रमुख कवि , नाटककार और लेखकों के साथ-साथ उनकी रचनाओं का संक्षिप्त विवरण देने का प्रयास किया गया है ।
भारत का प्राचीन साहित्य बहुत विशाल है । इस लेख में मैंने कुछ रचनाओं को साररूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है जिनका साहित्यिक , सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व है । इसमें हमने ब्राह्मण साहित्य ( वैदिक साहित्य , वेदांग , धर्मशास्त्र , पुराण , महाकाव्य ) , बौद्ध साहित्य और जैन साहित्य को शामिल किया है ।