प्राचीन भारत : सभ्यता और संस्कृति

भारतीय सभ्यता और संस्कृति के स्रोत । प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत

भूमिका सभ्यता और संस्कृति को प्रायः समानार्थी रूप में प्रयुक्त कर दिया जाता है। परन्तु इसमें भेद है। सभ्यता ( सभ्य + तल् + टाप् ) का शाब्दिक अर्थ है सभ्य होने का भाव या नम्रता और शिष्टता। सभ्यता का सम्बन्ध सामाजिकता से है और इसके अन्तर्गत कुछ विधि-निषेधों का पालन किया जाता है। आँग्ल […]

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प्राचीन भारतीय सम्वत्

प्राचीन भारतीय सम्वत् भारत में अति प्राचीन काल से ही सम्वत् का प्रचलन था। प्राचीन अभिलेख और साहित्यों में इसका उल्लेख है। प्राचीन भारतीय सम्वतों में विक्रम और शक सम्वत् सर्वाधिक प्रसिद्ध हैं। कुछ प्रसिद्ध प्राचीन भारतीय सम्वत् निम्न हैं :— सम्वत् का नाम समय प्रणेता विक्रम सम्वत् ५७ ई॰पू॰ उज्जयिनी के राजा विक्रमादित्य शक

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बोधिसत्व

बोधिसत्व महायान का आदर्श बोधिसत्व है। बोधिसत्व ऐसे व्यक्ति हैं जो निर्वाण प्राप्त कर चुके हैं परन्तु अन्य लोगों के निर्वाण में सहायता करने के लिए आते। बोधिसत्व मानव या पशु किसी भी रूप में हो सकते हैं। कुछ बोधिसत्व निम्न हैं :— अवलोकितेश्वर – ये प्रधान बोधिसत्व हैं। इनका एक अन्य नाम पद्मपाणि भी है। पद्मपाणि

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बौद्ध दर्शन

बौद्ध दर्शन    परिचय बुद्ध अनेक पेचीदे दार्शनिक प्रश्नों पर मौन रहे; जैसे — यह संसार नित्य और शाश्वत है अथवा नहीं। बुद्ध की मान्यता थी कि किसी रोग के कारण के बारे में जानने या वाद-विवाद में समय व्यतीत करने से उत्तम है कि उसके निदान का प्रयास तुरंत किया जाय। इस सम्बन्ध में

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जैन धर्म की देन

भूमिका जैन धर्म की देन प्रमुख रूप से निम्नवत् है :— साहित्य और कला के क्षेत्र में  सामाजिक देन धर्म और दर्शन के क्षेत्र में  राजनीतिक प्रभाव अन्य भाषा और साहित्य  जैन मतावलंबियों ने विभिन्न समयों में लोकभाषाओं के माध्यम से अपने मत का प्रचार-प्रसार किया। प्राकृत, अपभ्रंश, कन्नड़, तमिल, तेलुगु आदि क्षेत्रिय भाषाओं में

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