एरण्डपल्ल ( Erandpalla )

भूमिका एरण्डपल्ल ( Erandpalla or Erandapalla ) की पहचान आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम् जनपद में स्थित इसी नाम के स्थान से की गयी है। एरण्डपल्ल – पहचान और विवाद इतिहासकार फ्लीट ( J.F. Fleet )१ ने एरण्डपल्ल का समीकरण खानदेश के एरण्डोल ( erandol ) नामक स्थान से किया है। के० एन० दीक्षित और वाई० […]

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एलीफैंटा

स्थिति एलीफैंटा या एलीफेंटा द्वीप ( Elephanta island ) वर्तमान मुम्बई से लगभग १० किमी० पूर्व और मुख्य भूमि से लगभग ३ किमी० पश्चिमी में स्थित है। एलीफैंटा द्वीप का आकार ज्वार के प्रभाव में १० से १६ वर्ग किमी० क्षेत्रफल में घटता-बढ़ता रहता है। इसका पूर्व नाम धारापुरी था जो एक दुर्ग नगर (

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एरण या एरकिण

भूमिका एरण मध्य प्रदेश के सागर जनपद में मालवा के पठार से बहने वाली बेतवा की सहायक बीना नदी के तट पर स्थित है। इसका एक अन्य प्रचीन नाम ‘एरकिण’ भी मिलता है। एरण का संक्षिप्त इतिहास  इसका इतिहास प्रागैतिहासिक काल तक जाता है। यहाँ से चार सांस्कृतिक स्तर मिलते हैं :— एक, ताम्रपाषाणिक संस्कृति

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अमरावती – प्राचीन बौद्ध स्थल

परिचय अमरावती शब्द का अर्थ है – स्वर्ग। इस नाम के कई स्थान हैं – एक, महाराष्ट्र का अमरावती जनपद है; द्वितीय, अभी हाल में विभाजित आंध्रप्रदेश की राजधानी का अमरावती नाम से नवनिर्माण चल रहा और तृतीय, प्राचीन अमरावती स्थल। हम यहाँ पर प्राचीन अमरावती की बात कर रहे हैं। अमरावती का इतिहास अमरावती

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अरिकामेडु या पुडुके

परिचय अरिकामेडु ( Arikamedu ) के पुरावशेष भारत-रोम के व्यापारिक सम्बन्ध पर प्रकाश डालते हैं। यह संघ शासित राज्य पुदुचेरी ( पाण्डिचेरी ) से लगभग ३ किलोमीटर दक्षिण में जिंजी नदी के तट पर स्थित दक्षिण भारत का एक प्रसिद्ध पुरास्थल है। ‘पेरीप्लस ऑफ इरिथ्रियन सी’ में इसका नाम ‘पोडुके या पुडुके’ ( Podouke ) मिलता

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परिवार या कुटुम्ब ( Family ) का उद्भव और विकास

प्रस्तावना परिवार एक पुरातन सामाजिक संस्था है।  सम्भवतः कुटुम्ब जितनी ‘नैसर्गिक’ अन्य कोई सामाजिक संस्था नहीं है। प्रचीन से लेकर अर्वाचीन संसार की सभी सभ्यताओं में कुटुम्ब का महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है और रहेगा। इस संस्था का कोई अतिक्रमण नहीं कर सकता है। यह सामाजिक जीवन की मूलभूत ईकाई है। व्यक्ति और सामाजिक संस्थाएँ एक

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जाति-प्रथा का उद्भव और विकास

भूमिका जाति-प्रथा भारतीय समाज की ऐसी विशेषता है जो अन्यत्र इस प्रकार नहीं पायी जाती है। मजे की बात तो यह है यह हिन्दू समाज की विशेषता तो है ही साथ ही इससे मुस्लिम और ईसाई समाज भी अप्रभावित नहीं रहा है। जिस कर्म आधारित वर्ण व्यवस्था की आधारशिला वैदिक काल में पड़ी थी कालान्तर

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भारतीय धर्म और दर्शन में ईश्वर की अवधारणा या ईश्वर-विचार ( The concept of God in Indian Religion and Philosophy )

परिचय भारतीय दर्शन पर धर्म की अमिट छाप है इसलिए ईश्वर का महत्वपूर्ण स्थान है। सामान्यतः ईश्वर में विश्वास को धर्म कहा जाता है। धर्म-प्रभावित भारतीय दर्शन में ईश्वर की चर्चा पर्याप्त रूप से मिलती है। चाहे वे ईश्वरवादी दर्शन हों या अनीश्वरवादी अपनी-अपनी बातों को प्रमाणित करने हेतु वे अनेकानेक युक्तियों का प्रयोग करते

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भारतीय दर्शनों की सामान्य विशेषताएँ

भूमिका भारतीय दर्शनों को सामान्यतः दो वर्गों में रखा गया है — आस्तिक और नास्तिक। चार्वाक, बौद्ध और जैन दर्शन को छोड़कर शेष छः दर्शन आस्तिक वर्ग में रखे गये हैं। इन दर्शनों में परस्पर विभिन्नताएँ होते हुए भी सर्व-निष्ठता पायी जाती है। कुछ सिद्धान्तों की प्रामाणिकता को सभी मान्यता देते हैं। एक जैसी भौगोलिक

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भारतीय सभ्यता और संस्कृति के स्रोत । प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत

भूमिका सभ्यता और संस्कृति को प्रायः समानार्थी रूप में प्रयुक्त कर दिया जाता है। परन्तु इसमें भेद है। सभ्यता ( सभ्य + तल् + टाप् ) का शाब्दिक अर्थ है सभ्य होने का भाव या नम्रता और शिष्टता। सभ्यता का सम्बन्ध सामाजिकता से है और इसके अन्तर्गत कुछ विधि-निषेधों का पालन किया जाता है। आँग्ल

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