प्राचीन भारतीय शिक्षा व्यवस्था कैसी थी ?
शिक्षा मनुष्य के सर्वांगीण विकास का साधन है। शिक्षा का उद्देश्य मात्र पुस्तकीय ज्ञान नहीं है बल्कि उसके संपूर्ण व्यक्तित्व का विकास करना है शिक्षा के द्वारा व्यक्ति उत्तम आजीविका प्राप्त करता है परन्तु इसे मात्र आजीविका का साधन मानना अभीष्ट नहीं है ।शिक्षा को मात्र आजीविका का साधन माननेवालों की आलोचना की गयी है शिक्षा आजीवन चलने वाली प्रक्रिया है (यावज्जीवमधीते विप्रः)। प्राचीन काल से ही भारत में शिक्षा व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक विकास का माध्यम है ।