सूत्र काल
भूमिका उत्तर-वैदिक काल के अन्त तक वैदिक साहित्य अत्यन्त व्यापक एवं जटिल हो चुका था। अतः एक व्यक्ति के लिये सम्पूर्ण वैदिक साहित्य को कण्ठस्थ करना दुष्कर होता जा रहा था। इसलिये वैदिक साहित्य को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिये उसे संक्षिप्त करने की आवश्यकता महसूस हुई। इसी आवश्यकता की पूर्ति हेतु सूत्र साहित्य का […]