मौर्यकालीन कला और स्थापत्य
भूमिका कलात्मक दृष्टि से सैंधव सभ्यता और मौर्यकाल के मध्य लगभग १,५०० वर्षों का अंतराल हैं। इस समयान्तराल के कलात्मक अवशेष में निरंतरता नहीं है। महाकाव्यों और बौद्ध साहित्यों में हाथीदाँत, मिट्टी और धातुओं के काम का विवरण मिलता है। परन्तु मौर्यकाल से पूर्व वास्तुकला और मूर्तिकला के अवशेष बहुत कम मिलते हैं। इसका कारण […]
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