बुद्ध से सम्बंधित व्यक्ति
महात्मा बुद्ध से सम्बंधित व्यक्ति संख्या में बहुत अधिक थे जिनमें से कुछ के नाम उल्लेखनीय है :—
बुद्ध के प्रमुख शिष्य
सारिपुत्र, मोद्गलायन, उपालि, सुनीत, अनिरुद्ध, अनाथपिण्डक, जीवक, महाकश्यप, बिम्बिसार, अजातशत्रु, प्रसेनजित, आनन्द आदि।
सारिपुत्र ( ब्राह्मण ) और मोद्गालयन दोनों राजगृह के निवासी थे। इन दोनों की मृत्यु बुद्ध के जीवनकाल में हो गयी थी। उपालि नापित और सुनीति भंगी था। अनिरुद्ध, यश, अनाथपिण्डक, घोषिताराम आदि समृद्धि व्यापारी थे। बिम्बिसार और अजातशत्रु मगध के जबकि प्रसेनजित कोशल के शासक थे।
आनन्द बुद्ध के चचेरे भाई और निजी सेवक थे। इन्हीं के आग्रह पर बुद्ध ने स्त्रियों को संघ में प्रवेश दिया था।
महाकश्यप मगध के ब्राह्मण थे। प्रथम बौद्ध संगीति की इन्होंने ही अध्यक्षता थी।
आनन्द और उपालि प्रथम बौद्ध संगीति के समय उपस्थित थे। इन्हें क्रमशः धर्म और विनय का प्रतीक माना गया।
जीवक राजगृह की गणिका सालवती का पुत्र था। बिम्बिसार के पुत्र अभय को यह परित्यक्त अवस्था में प्राप्त हुआ। इसे शिक्षा हेतु तक्षशिला भेजा गया जहाँ इसने अयुर्वेद का अध्ययन किया। इसमें बुद्ध और चण्ड प्रद्योत की चिकित्सा की थी।
बौद्ध धर्मावलम्बी स्त्रियाँ
महाप्रजापति गौतमी, यशोधरा, नन्दा, क्षेमा ( खेमा ), आम्रपाली, विशाखा, सुजाता आदि।
महाप्रजापति गौतमी बुद्ध की विमाता और मौसी थी।
यशोधरा बुद्ध की पत्नी थी।
नन्दा बुद्ध की बहन जो प्रजापति गौतमी और शुद्धोधन से उत्पन्न हुई थी।
क्षेमा बिम्बिसार की पत्नी थी।
आम्रपाली वैशाली की गणिका थी।
विशाखा अंग जनपद के भद्दीय ग्राम की श्रेष्ठी की पुत्री थी।
बुद्ध के प्रमुख समसामयिक विरोधी
बुद्ध का चचेरा भाई देवदत्त उनका विरोधी था। देवदत्त ने मगध सम्राट अजातशत्रु से भी उनका विरोध कराया परन्तु बाद में उनका शिष्य बन गया। मगध, अंग, कोशल आदि के ब्राह्मणों ने बुद्ध का कड़ा विरोध किया। साण दंड, कूट दंत, कशिभरद्वाज आदि ब्राह्मणों ने बुद्ध का विरोध किया परन्तु बाद में कशिभरद्वाज ने बौद्ध मत के प्रति लगाव प्रदर्शित किया।