भूमिका
अवमुक्त का उल्लेख हमें ब्रह्मपुराण और गुप्त सम्राट समुद्रगुप्त के प्रयाग प्रशस्ति में मिलता है :
- ब्रह्मपुराण के अनुसार यह गोदावरी नदी के तट पर स्थित था।
- समुद्रगुप्त के प्रयाग प्रशस्ति के १९वें व २०वें पंक्ति में इसका विवरण सुरक्षित है।
अवमुक्त : प्रयाग प्रशस्ति में उल्लेख
१९वीं पंक्ति : कौसलक-महेन्द्र-माह[।]कान्तारक-व्याघ्रराज-कौरलक-मण्टराज-पैष्टपुरक-महेन्द्रगिरि-कौट्टूरक-स्वमिदत्तैरण्डपल्लक-दमन-काञ्चेयक-विष्णुगोपावमुरक्तक-
२०वीं पंक्ति : नीलराज-वैङ्गेयक-हस्तिवर्मा-पालक्ककोग्रसेन-दैवराष्ट्र-कुबेर-कौस्थलपुरक-धनञ्जय-प्रभृति-सर्व्वदक्षिणापथ-राज-ग्रहण-मोक्षानुग्रह-जनित-प्रतापोन्मिश्र-माहाभागस्स्य
हिन्दी अर्थ : १९-२०. [जिसका प्रताप] कोसल के [राजा] महेन्द्र, महाकान्तार के [राजा] व्याघ्रराज, कौराल के (राजा] मण्टराज, पिष्टपुर के [राजा] महेन्द्रगिरि, कोट्टूर के [राजा) स्वामिदत्त, एरण्डपल्ल के [राजा] दमन, काञ्ची के [राजा] विष्णुगोप, अवमुक्त के [राजा] नीलराज, वेंगी के [राजा] हस्तिवर्मा, पालक के [राजा] उग्रसेन, देवराष्ट्र के [राजा] कुबेर, कुलस्थलपुर के [राजा] धनंजय [आदि] दक्षिण भारत के राजाओं को बन्दी बना कर मुक्त कर देने की उदारता से परिपूर्ण है।
( प्रयाग प्रशस्ति )
समुद्रगुप्त का दक्षिणापथ अभियान
समुद्रगुप्त ने अपने दक्षिणापथ दिग्विजय अभियान में १२ राजाओं को पराजित किया था। जिसका विवरण हरिषेण कृत प्रयाग प्रशस्ति के १९वें व २०वें पंक्ति में मिलता है। इन्हीं १२ राज्यों में से एक था अवमुक्त। यहाँ के शासक नीलराज को समुद्रगुप्त ने पराजित किया था।
अवमुक्त : पहचान की समस्या
इसकी की सही-सही पहचान तो नहीं हो पायी है और न ही प्रयाग प्रशस्ति में क्रम से वर्णित है। फिरभी एक अनुमानित स्थिति को ASI ने दर्शाया है जिसको आधार पर मोटेतौर पर स्थिति को दर्शाने का प्रयास मानचित्र में किया गया है।
