आर्य संस्कृति की पहचान

भूमिका आर्य संस्कृति की पहचान के सम्बन्ध में तुलनात्मक भाषा का बहुत महत्त्व है। फ्लोरेंस ( इटली ) के एक व्यापारी फिलिप्पो सस्सेत्ती ( Filippo Sassestti ) गोवा में सन् १५८३ से १५८८ ई० तक यानी पाँच वर्ष तक रहे। उन्होंने यहाँ पर संस्कृत भाषा का अध्ययन किया और पाया कि संस्कृत भाषा और यूरोपीय […]

आर्य संस्कृति की पहचान Read More »

आर्यों का मूल निवास स्थान कहाँ था?

भूमिका आर्यों का मूल निवास स्थान क्या था? या आर्य मूलतः किस प्रदेश के निवासी थे? वे भारतीय उप-महाद्वीप में बाहर से आये या यहीं के मूल निवासी थे? इत्यादि … ये अत्यन्त विवादग्रस्त प्रश्न हैं। यहाँ कुछ प्रमुख मतों का संक्षेप में उल्लेख किया जायेगा। इन मतों को हम दो भागों में बाँटकर सूक्ष्मता

आर्यों का मूल निवास स्थान कहाँ था? Read More »

आर्य कौन हैं?

भूमिका वैदिक संस्कृति के वाहक आर्य हैं। परन्तु वास्तव में ये आर्य कौन हैं? यह बहुत ही विवाद का प्रश्न रहा है। औपनिवेशिक दौर में पाश्चात्य विद्वानों ने आर्यों को आक्रांता कहकर प्राजातीय वैभिन्यता का ठप्पा लगाकर भारतीय समाज को विभाजित करने का प्रयास किया। स्वतंत्रता के बाद भी वर्तमान में राजनीतिक हितों के लिए

आर्य कौन हैं? Read More »

अश्व और आर्य बहस ( THE HORSE AND THE ARYAN DEBATE )

भूमिका अश्व और आर्य बहस थमने का नाम ही नहीं ले रही है। सिंधु-सरस्वती सभ्यता में घोड़े की उपस्थिति या अनुपस्थिति विगत एक सदी से विवाद का विषय रही है, विशेष रूप से आर्य-आक्रमण-सिद्धांत के सन्दर्भ में। इस सम्बन्ध में अक्सर यह तर्क दिया जाता है : ऋग्वेद में २१५ बार अश्व शब्द का प्रयोग

अश्व और आर्य बहस ( THE HORSE AND THE ARYAN DEBATE ) Read More »

वेद और पुरातत्त्व

भूमिका वेद और पुरातत्त्व का मिलान करते हुए अध्ययन करना एक स्वस्थ्य परम्परा है। भारतीयों पर पाश्चात्य विद्वानों का आरोप रहा है कि भारतीय साहित्य चाहे वे धार्मिक हो या लौकिक उनमें ऐतिहासिक दृष्टि का अभाव है। ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि पुरातात्त्विक साक्ष्यों के आलोक में भारतीय साहित्यिक रचनाओं को जाँचा

वेद और पुरातत्त्व Read More »

वैदिक भूगोल

भूमिका वैदिक भूगोल से तात्पर्य है कि वेदों से हमें किस भारतीय भूमि की जानकारी प्राप्त होती है। उसमें किन-किन नदियों, पर्वतों, जलस्रोतों का विवरण मिलता है। हम वेदों में उल्लिखित भौगोलिक क्षेत्रों की पहचान वर्तमान में किन नदी, पहाड़ों व भू-भाग से करते हैं। दूसरे शब्दों में वैदिक साहित्य से हमें किस भारत का आभास

वैदिक भूगोल Read More »

वेदों का रचनाकाल क्या है?

भूमिका वेद मानव सभ्यता और संस्कृति की अमूल्य थाती हैं। वेदों से सम्बन्धित कई समस्याओं में से एक प्रश्न यह भी है कि वेदों का रचनाकाल क्या है? या वैदिक साहित्य की रचना कब हुई? इस पर विद्वानों ने अपने-अपने विचार व्यक्त किये हैं। उन्हीं विचारों और जहाँ तक सम्भव हो पुरातत्व की सहायता से

वेदों का रचनाकाल क्या है? Read More »

वेदों के रचयिता कौन हैं?

भूमिका वेद भारतीयों की ही नहीं मानव सभ्यता व संस्कृति की प्राचीनतम् उपलब्ध साहित्य है। प्रश्न यह उठता है कि वेदों के रचयिता कौन हैं? अथवा वैदिक साहित्य के रचयिता कौन है? यद्यपि भारतीय परम्परा में वेदों को नित्य और अपौरुषेय माना गया है। परन्तु वैदिक संस्कृति व सभ्यता से पूर्व इस प्रश्न पर विचार

वेदों के रचयिता कौन हैं? Read More »

वैदिक साहित्य क्या है?

भूमिका वेद किसी व्यक्ति विशेष द्वारा रचित कोई धार्मिक कृति नहीं है और न ही ये किसी समय विशेष की कृतित्व है अपितु वैदिक साहित्य कई शताब्दियों तक विकसित और समृद्ध होता रहा और पीढ़ी-दर-पीढ़ी मौखिक रूप से हस्तांतरित होता रहा है। इससे पूर्व की हम वैदिक काल और संस्कृति के विषय में विषद् चर्चा

वैदिक साहित्य क्या है? Read More »

महापाषाण संस्कृति ( Megalithic Culture )

भूमिका नवपाषाण युग की समाप्ति के पश्चात् दक्षिण में जिस संस्कृति का उदय हुआ, उसे वृहत्पाषाण अथवा महापाषाण संस्कृति (Megalithic Culture) कहा जाता है। इस संस्कृति के लोग अपने मृतकों के अवशेषों को सुरक्षित रखने के लिये बड़े-बड़े पत्थरों का प्रयोग करते थे। वृहत्पाषाण को अंग्रेजी में मेगालिथ (Megalith) कहा जाता है। यह यूनानी भाषा

महापाषाण संस्कृति ( Megalithic Culture ) Read More »

Scroll to Top