गुप्त— मूल निवास-स्थान

भूमिका उत्पत्ति के ही समान गुप्त— मूल निवास स्थान का प्रश्न भी बहुत कुछ अंशों में अनुमानपरक ही है। विद्वानों ने गुप्तों के मूल निवास स्थान के सम्बन्ध में जिन स्थलों के नामों पर विचार किया है, वह अधोलिखित हैं— मूल निवास स्थान समर्थक इतिहासकार बंगाल एलन, गांगुली तथा रमेश चन्द्र मजूमदार मगध विंटरनित्ज, रायचौधरी […]

गुप्त— मूल निवास-स्थान Read More »

गुप्तों की उत्पत्ति या गुप्तों की जाति अथवा वर्ण

यद्यपि प्राचीन भारतीय साहित्य तथा अभिलेखों में अनेक ऐसे व्यक्तियों का उल्लेख प्राप्त होता है जिनके नाम के अंत में ‘गुप्त’ शब्द मिलता है, तथापि इनका गुप्त शासकों के साथ क्या सम्बन्ध था यह निश्चित नहीं है। उदाहरणार्थ एक जातक कथा में बनारस के एक राजा के पुत्र का नाम गुप्त दिया गया है। गुप्त

गुप्तों की उत्पत्ति या गुप्तों की जाति अथवा वर्ण Read More »

गुप्त इतिहास के साधन

गुप्त राजवंश का इतिहास हमें साहित्यिक तथा पुरातत्त्विक दोनों ही प्रमाणों से ज्ञात होता है। साहित्यिक साधन इसे हम दो भागों में बाँट सकते हैं— एक, स्वदेशी साहित्य और दूसरा, विदेशी साहित्य। स्वदेशी साहित्यिक स्रोत पुराण विष्णु पुराण, वायु पुराण, ब्रह्माण्ड पुराण, भविष्योत्तर पुराण स्मृतियाँ नारद स्मृति, पाराशर स्मृति, वृहस्पति स्मृति राजनीतिक पुस्तक कामंदकीय नीतिसार

गुप्त इतिहास के साधन Read More »

लिच्छवि गणराज्य

भूमिका महाजनपदकाल में हमें १६ महाजनपदों का उल्लेख मिलता है। इन षोडश महाजनपदों में से चतुर्दश की शासन व्यवस्था राजतंत्रात्मक थी और दो की गणतंत्रात्मक। ये दो गणतंत्रात्क राजव्यवस्था वाले महाजनपद थे- मल्ल और वज्जि। वज्जि ८ राज्यों का संघ था। इन आठ राज्यों के नाम हैं- वज्जि, लिच्छवि, विदेह, ज्ञातृक, उग्र, भोग, इक्ष्वाकु और

लिच्छवि गणराज्य Read More »

शिबि या शिवि

भूमिका शिवि (शिबि) प्राचीन भारत में एक महत्त्वपूर्ण गणराज्य था। ३२६ ईसा पूर्व में सिकंदर के भारत पर आक्रमण के समय शिबि गणराज्य झेलम तथा चिनाब के संगम के निचले भाग पर स्थित था। ये मालव गणराज्य के पड़ोसी थे। यूनानी इन्हें ही सिबोई (Siboi) कहते है। इन्हें चीनी यात्री फाहियान द्वारा सिविकस (Sivikas) के

शिबि या शिवि Read More »

कुणिंद गणराज्य

भूमिका कुणिंद (Kuninda) एक प्राचीन गणराज्य था। कुणिंदों का उल्लेख मौर्योत्तर काल से लेकर गुप्त-पूर्व काल तक मिलता है। अर्थात् मोटोतौर पर इनका समय हम लगभग द्वितीय शताब्दी ई०पू० से तृतीय शताब्दी ई० के मध्य रख सकते हैं। इनका गणराज्य सतलुज और व्यास के मध्य स्थित था। कुणिंदों के नाम के विभिन्न वर्तनी रूप या

कुणिंद गणराज्य Read More »

यौधेय गणराज्य

भूमिका यौधेय एक प्राचीन सैन्य गणसंघ था। इन्हें यौधेय गण, यौधेय गणराज्य और यौधेय गणसंघ कहते हैं। यौधेय गणराज्य सतलुज नदी के पूर्वी क्षेत्र में स्थित था। स्रोत यौधेय गणराज्य के इतिहास का ज्ञान हमें साहित्यों और पुरातत्त्व दोनों से मिलता है। इनके विवेकपूर्ण उपयोग से यौधेय इतिहास का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।

यौधेय गणराज्य Read More »

अर्जुनायन गणराज्य

भूमिका अर्जुनयान (Arjunayana) एक प्राचीन गणराज्य था। अर्जुनायन गणराज्य पंजाब अथवा उत्तर-पूर्वी राजस्थान में स्थित था। इनकी शासन व्यवस्था गणतंत्रात्मक थी। अर्जुनायन गण मौर्योत्तर काल में एक शक्ति के रूप उभरे। इनका उल्लेख हमें समुद्रगुप्त के प्रयाग प्रशस्ति में मिलता है। गुप्तकाल के ज्योतिषविद् वाराहमिहिर की कृति बृहत्संहिता में इनका उल्लेख मिलता है। डॉ० बुद्ध

अर्जुनायन गणराज्य Read More »

मालव गणराज्य

भूमिका मालव (Malava) एक प्राचीन भारतीय जनजाति थी। लम्बे समय तक उनके अधिवास के कारण पंजाब और मध्य भारत में मालवा क्षेत्र का नाम उनके नाम पर रखा गया है। कुछ विद्वान मालव सम्वत् (विक्रम सम्वत्) को प्रचलित करने का श्रेय मालवों को देते हैं, परन्तु (सम्भवतः) मालवों के द्वारा इसके प्रयोग और मालवा से

मालव गणराज्य Read More »

शालंकायन वंश (Shalankayana Dynasty)

भूमिका गुप्त-पूर्व और गुप्तकाल में कृष्णा और गोदावरी के बीच शासन करनेवाले शालंकायन वंश के सम्बन्ध में जानकारी मिलती है। उनके समय में तेलुगु की लिपि अन्य दक्षिण भारतीय और उत्तर भारतीय भाषाओं से स्पष्ट रूप से भिन्न होने लगी। उन्होंने कई शिलालेख जारी किये, जैसे – कनकोल्लू अभिलेख (Kanakollu inscription) और गुंटापल्ली अभिलेख (Guntapalli

शालंकायन वंश (Shalankayana Dynasty) Read More »

Scroll to Top