संगमकालीन आर्थिक दशा

भूमिका संगमकालीन आर्थिक दशा का ज्ञान संगम साहित्य के साथ-साथ क्लासिकल लेखकों और पुरातत्त्व से होती है। संगमकालीन तमिल क्षेत्र आर्थिक दृष्टि से अत्यन्त समृद्ध था। इसकी समृद्धि के प्रमुख आधार कृषि तथा व्यापार-वाणिज्य थे। कृषि संगम साहित्य से ज्ञात होता है कि दक्षिण भारत की भूमि अत्यन्त उपजाऊ थी जिसमें अनाज की बड़ी अच्छी […]

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संगमकालीन सामाजिक दशा

भूमिका संगम साहित्य के अध्ययन से हम तत्कालीन तमिल क्षेत्र की सामाजिक दशा के विषय में अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लेते हैं। इस समय तक सुदूर दक्षिण का आर्यीकरण हो चुका था। यह साहित्य हमारे सामने आर्य तथा द्रविड़ संस्कृतियों के समन्वय का चित्र उपस्थित करता है अथवा दूसरे शब्दों में संगमकाल की एक सामाजिक

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संगमकालीन शासन व्यवस्था (Sangam Age Governance System)

भूमिका मौर्योत्तर काल में सुदूर दक्षिण में संगमकालीन तीन प्रमुख राज्यों का विवरण हमें मिलता है जिनकी सभ्यता और संस्कृति उत्तर भारत से प्रभावित होते हुए भी भिन्न थी| इस दृष्टि से संगमकालीन शासन व्यवस्था भी भिन्न नहीं थी। राज्यों का ‘कुल-संघ’ होना, उत्तराधिकार युद्ध, शासन में ब्राह्मणों की नियुक्ति, चक्रवर्ती अवधारणा आदि संगमकालीन शासन

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उदियन चेरन आदन (Uthiyan Cheralathan)

भूमिका उपलब्ध साहित्यिक स्रोतों के अनुसार उदियन चेरन आदन का प्रारम्भिक ऐतिहासिक दक्षिण भारत के सबसे पुराना ज्ञात चेर शासक था। संगमकाल का इतिहास बहुत ही उलझा हुआ है| उदियन जेरल के संबंध में भी यही तथ्य उभरकर आता है| एक तो उसे करिकाल का समकालीन बताया गया है और उसने वेण्णि के युद्ध में

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चेर राज्य या चेर राजवंश : संगमकाल (The Chera Kingdom or The Chera Dynasty : The Sangam Age)

भूमिका संगमयुगीन तीन अभिषिक्त राज्यों में चेर राज्य भी था। यह आधुनिक केरल प्रान्त में स्थित था। इसके अन्तर्गत कोयम्बटूर का कुछ भाग तथा सलेम (प्राचीन कोंगू जनपद) भी सम्मिलित थे। संगमकालीन कवियों ने चेरों की प्राचीनता महाभारत के युद्ध से जोड़ने का प्रयास किया है जोकि काल्पनिक है। रोमनों ने अपने हितों की रक्षा

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पाण्ड्य राजवंश या पाण्ड्य राज्य : संगमकाल (The Pandya Dynasty or Pandya Kinds: The Sangam Age)

भूमिका संगमकालीन तीन अभिषिक्त शासकों में पाण्ड्य भी थे। तीनों संगमों के संरक्षक पाण्ड्य ही थे। इसका उल्लेख हमें मेगस्थनीज और अशोक के अभिलेखों में भी मिलता है। संगम साहित्य में पाण्ड्य राजाओं का जो विवरण प्राप्त होता है वह अत्यन्त भ्रामक है तथा उसके आधार पर हम उनके इतिहास का क्रमबद्ध विवरण नहीं जान

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चोल वंश या चोल राज्य : संगमकाल (The Cholas or The Chola’s Kingdom : The Sangam Age)

भूमिका संगम युगीन राज्यों में सर्वाधिक शक्तिशाली चोल राज्य था और साथ ही संगमकाल के तीन प्रमुख राज्यों में से सर्वप्रथम चोलों का अभ्युदय हुआ। चोल राज्य का अभ्युदय कावेरी नदी के डेल्टा और आस-पास के क्षेत्रों पर हुआ। कांची का क्षेत्र भी चोल राज्य का भाग था। और स्पष्ट रूप से कहें तो चोल

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किल्लिवलवान (Killivalavan)

भूमिका हमारे पास किल्लिवलवान और उसके शासनकाल के सम्बन्ध में कोई निश्चित विवरण नहीं है। उसके सम्बन्ध में हमें पुरनानुरू (Purananuru) में बिखरे हुए अथवा अपूर्ण कविताओं (fragmentary poems) में मिलता विवरण प्राप्त होते हैं। पुरनानुरू एत्तुथोकै (अष्ट संग्रह) का भाग है। संक्षिप्त विवरण नाम — किल्लिवलवान या किलिवलवान (Killivalavan) राजधानी — उरैयूर राजवंश —

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नालनकिल्ली या नालंकिल्ली (Nalankilli)

भूमिका नालनकिल्ली करिकाल का पुत्र और उत्तराधिकारी था। करिकाल के बाद का चोल इतिहास बहुत उलझा हुआ है। नालनकिल्लि द्वारा चोलों के एक अन्य शाखा जो उरैयूर मे शासन करती है से एक लम्बा गृहयुद्ध करने का विवरण मिलता है जिसमें वह अन्ततः सफल हुआ। संक्षिप्त परिचय नाम — नालंकिल्ली या नलंकिल्लि या नालनकिल्ली (Nalankilli)

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तोंडैमान इलांडिरैयान (Tondaiman Ilandiraiyan)

भूमिका करिकाल चोल (≈१९० ई०) के समकालीन कांची से शासन करने वाले तोंडैमान इलांडिरैयान का हमें उल्लेख मिलता है। उसका इतिहास मिथकों से आच्छादित है। संक्षिप्त परिचय नाम — तोंडैमान इलांडिरैयान या तोंडैमान इलांदिरैयान या तोण्डैमान इलन्दिरैयन या तोंडाइमन इलैंडिरायन (Tondaiman Ilandiraiyan), इलमतिरायण Ilamtiraiyan करिकाल के समकालीन कांची से शासन स्वयं कवि थे रुद्रनकन्नार कृत

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