प्राचीन भारतीय इतिहास

पाषाणकाल : काल विभाजन

भूमिका वास्तव में पाषाणकाल या प्रस्तर युग ( Stone Age ) मानव इतिहास का वह समय है जिसमें उसने अपने उपयोग के लिए प्रस्तर उपकरणों का प्रयोग किया, यथा – प्रस्तर उपकरणों ( Stone Tools ) का उपयोग करना, प्राकृतिक पर्वतीय गुफाओं में निवास आदि। जैसे ही धातु के उपयोग की जानकारी मानव को हुई […]

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विविधता में एकता (Unity in Diversity)

भूमिका विविधता में एकता (Unity in Diversity) भारतवर्ष की मौलिक विशेषता है। भारत एक विशाल देश है जहाँ प्राकृतिक व सामाजिक स्तर की अनेक विषमतायें दृष्टिगोचर होती हैं। एक ओर उत्तुंग शिखर है तो दूसरी ओर समतल मैदान है, एक ओर अत्यन्त उर्वर प्रदेश तो दूसरी ओर अनुर्वर रेगिस्तान है। यहाँ सभी प्रकार की जलवायु

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भारतीय संस्कृति की विशेषताएँ

भूमिका भारतीय संस्कृति की कुछ ऐसी विशेषताएँ है जो विश्व की अन्य संस्कृतियों में दृष्टिगत नहीं होतीं। अपने विशिष्ट तत्वों के कारण ही भारतीय संस्कृति ने विश्व के देशों में अपने महत्त्व को बनाये रखा है। इनमें कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं – प्राचीनता निरन्तरता और चिरस्थायिता आध्यात्मिकता ग्रहणशीलता समन्वयवादिता धार्मिक सहिष्णुता सर्वांगीणता सार्वभौमिकता प्राचीनता

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नृजाति और प्रजाति संकल्पना

भूमिका भारतीय सभ्यता व संस्कृति के अध्ययन के लिए नृजाति और प्रजाति की संकल्पना का सूक्ष्म अवगाहन आवश्यक हो जाता है। क्योंकि विभेदकारी शक्तियाँ भारतीय एकता व अखंडता को कमजोर करने के लिए सदैव क्रियाशील रही है। अतः नृजाति और प्रजाति की संकल्पना के पीछे छुपे कुत्सित प्रयास को समझना आवश्यक है। आदिकाल से ही

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मानव उद्विकास ( Human Evolution )

भूमिका मानव उद्विकास ( Human Evolution ) मुख्य रूप से मैदानी रहन-सहन के प्रति एक प्रकार से अनुकूलन की प्रक्रिया है। जिसमें मानव को कई चरणों से गुजरना पड़ा। यह अनुकूलन प्रक्रिया लाखों वर्षों तक चलती रही और यह अब भी अनवरत जारी है। अफ्रीका महाद्वीप को छोड़कर अन्यत्र मानव उद्विकास की प्रक्रिया उलझी हुई

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भारतीय सभ्यता और संस्कृति के स्रोत । प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत

भूमिका सभ्यता और संस्कृति को प्रायः समानार्थी रूप में प्रयुक्त कर दिया जाता है। परन्तु इसमें भेद है। सभ्यता ( सभ्य + तल् + टाप् ) का शाब्दिक अर्थ है सभ्य होने का भाव या नम्रता और शिष्टता। सभ्यता का सम्बन्ध सामाजिकता से है और इसके अन्तर्गत कुछ विधि-निषेधों का पालन किया जाता है। आँग्ल

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भारतवर्ष का नामकरण

भूमिका हमारे देश का नाम ऋग्वैदिक जन ‘भरत’ के नाम पर भारतवर्ष पड़ा है। यद्यपि भारतीय संविधान के अनुच्छेद – १ में इसे ‘भारत अर्थात् इंडिया’ कहा गया है। भारतवर्ष शब्द के प्रयोग का अभिलेखीय साक्ष्य सर्वप्रथम कलिंग नरेश खारवेल के हाथीगुम्फा अभिलेख में मिलता है। यहाँ पर यह शब्द गंगा घाटी या उत्तरी भारत के सन्दर्भ

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हड़प्पा सभ्यता या सिन्धु घाटी सभ्यता

 हड़प्पा सभ्यता या सिन्धु घाटी सभ्यता भूमिका कांस्य युगीन सभ्यता के अन्तर्गत हड़प्पा सभ्यता आती है। जब ताँबे में टिन को मिलाकर कांस्य नामक मिश्रधातु का प्रयोग मानव ने किया। कांस्य सभ्यता सामान्यतः नगरीय सभ्यता कहलाती है। भारतीय उप-महाद्वीप में प्रथम नगरीकरण इसी समय हुआ। हड़प्पा सभ्यता ‘आद्य इतिहास’ के अन्तर्गत आता है। इसे इस

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भारतीय इतिहास की भौगोलिक पृष्ठभूमि या भारतीय इतिहास पर भूगोल का प्रभाव

भूमिका इतिहास की दो आँखें होती हैं— एक कालक्रम और दूसरी भूगोल। अर्थात् इतिहास के निर्धारण में समय और स्थान दो महत्त्वपूर्ण कारक हैं। भूगोल ऐतिहासिक घटनाओं को निर्धारित करता है। भारतीय इतिहास भी इसका अपवाद नहीं है। इसलिए ‘भारतीय इतिहास की भौगोलिक पृष्ठभूमि’ का अध्ययन अनिवार्य हो जाता है। भारतीय उप-महाद्वीप की सामान्य जानकारी

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