बौद्ध धर्म की देन

बौद्ध धर्म की देन

बौद्ध धर्म का भारतीय सभ्यता और संस्कृति में योगदान बहुआयामी है :—

  • बौद्ध धर्म ने एक सरल और आडण्बरहीन धर्म प्रदान किया। यह राजा-रंक, ऊँच-नीच आदि भेदभावों से परे सर्वजन सुलभ था। अहिंसा, सहिष्णुता जैसे नैतिक आदर्श को फलीभूत किया। अशोक, कनिष्क, गुप्तवंशीय शासक, हर्षवर्धन आदि में भारतीय राजाओं में धार्मिक सहिष्णुता रची-बसी मिलती है। सम्राट अशोक ने तो धार्मिक सहिष्णुता और लोककल्याण को शासन का आधार बना दिया।
  • बौद्ध धर्म के उपदेश और सिद्धान्त ‘पालि भाषा’ में लिखे गये, जिससे पालि भाषा और साहित्य का विकास हुआ।
  • बौद्ध संघों की ‘जनतंत्रात्मक प्रणाली’ ने कालान्तर में सभी संस्थाओं को प्रभावित किया; जैसे — हिन्दू मठ, राजशासन।
  • भारतीय दर्शन का तर्कवाद भी बौद्ध धर्म से प्रभावित हुआ।  बौद्ध धर्म के शून्यवाद और विज्ञानवाद प्रभाव शंकराचार्य के दर्शन पर पड़ा था इसीलिए शंकराचार्य को कभी-कभी प्रच्छन्न-बौद्ध भी कहा जाता है।
  • बौद्ध धर्म ने लोगों के नैतिक जीवन को ऊँचा उठाने का प्रयास किया। जन-जीवन एवं सदाचार और सच्चरित्रता की भावनाओं का विकास किया। स्वयं बुद्ध नैतिकता को सर्वोच्च प्राथमिकता देते थे और ज्ञान से भी बढ़कर इसे स्थान देते थे। संघ के भिक्षुओं ने भी इसका अनुसरण किया और समाज के लिए नैतिकता और सच्चरित्रता का उदाहरण प्रस्तुत किया।
  • बौद्ध धर्म ने विश्व को शान्ति, आहिंसा, बन्धुत्व, सह-अस्तित्व आदि का संदेश दिया। बुद्ध ने मानव मात्र की समानता का आदर्श रखा। इसके कारण ही भारत का वैश्विक स्तर पर नैतिक प्रभुत्व स्थापित हुआ।
  • बौद्ध धर्म के माध्यम से भारत का सांस्कृतिक सम्पर्क विश्व के विभिन्न देशों के साथ स्थापित हुआ। सम्राट अशोक ने ज्ञात विश्व के विभिन्न भागों में धर्मप्रचारक भेजे। संघ के भिक्षुओं ने अनेक दुर्गम वैश्विक भागों में धर्मप्रचार किया।
  • महात्मा बुद्ध की शिक्षाओं से आकर्षित होकर अनेक विदेशियों ( यवन, शक, पार्थियन, कुषाण, हुण आदि ) ने बौद्ध धर्म ग्रहण किया। इसके उदाहरण यवन शासक मेनाण्डर और कुषाण शासक कनिष्क ने इसे राजधर्म बनाया।
  • अनेक विदेशी यात्री बुद्ध की पावन भूमि की यात्रा आये ( फाहियान, हुएनसांग, इत्सिंग आदि )।
  • वर्तमान में विश्व की लगभग एक तिहाई जनता बौद्धधर्म तथा उसके आदर्शों में अपनी श्रद्धा रखती है।
  • कला और स्थापत्य के क्षेत्र में बौद्ध धर्म की देन अद्वितीय है। अनेक स्तूप, विहार, चैत्यगृह, गुहाएँ, मूर्तियाँ आदि निर्मित की गयीं। साँची, सारनाथ, भरहुत आदि के स्तूप, अजन्ता की गुफाएँ एवं वहाँ की चित्रकला, अनेक स्थानों से प्राप्त और संग्रहालयों में सुरक्षित बुद्ध एवं बोधिसत्वों की मूर्तियाँ भारतीय संस्कृति को अनुपम देन है। गान्धार, मथुरा, अमरावती, नासिक, कार्ले, भाजा आदि बौद्ध कला के प्रमुख केन्द्र थे।
  • कनिष्क के काल में ही मथुरा एवं गांधार कला का विकास हुआ जिसका मुख्य आधार बौद्ध धर्म था।
  • वर्तमान में भारत के कई स्थलों पर बौद्ध स्मारक और श्रद्धालुओं के आकर्षण के केन्द्र बने हुए हैं ( जैसे— श्रावस्ती, कुशीनगर, बोधगया, सारनाथ आदि )।
  • विश्व के कई देशों को अहिंसा, करुणा, प्राणिमात्र के प्रति दया आदि का संदेश भारत ने बौद्धधर्म के माध्यम से ही दिया।
  • भारत का राजचिह्न हो या पंचशील सिद्धान्त अथवा शान्ति और सह-अस्तित्व का सिद्धान्त ये सभी बौद्ध धर्म की देन हैं।

 

गौतम बुद्ध

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