भूमिका
तक्षशिला विश्वविद्यालय वर्तमान पाकिस्तान के रावलपिंडी जनपद में स्थित था। महाजनपद काल में तक्षशिला गंधार राज्य की राजधानी थी। तक्षशिला विश्वविद्यालय का समयकाल ६ठवीं शताब्दी ईसा पूर्व से ७वीं शताब्दी ईस्वी तक माना जाता है।
तक्षशिला का इतिहास
रामायण के अनुसार श्रीराम के भाई भरत ने इस क्षेत्र को गंधर्वों से विजित किया था। गंधर्व सिंधु नदी के दोनों ओर बसे हुए थे। भरत के दो पुत्र थे – पुष्कल और तक्ष। पुष्कल ने पुष्पकलावती ( पेशावर ) और तक्ष ने तक्षशिला ( रावलपिंडी ) की स्थापना की।
महाभारत से ज्ञात होता है कि परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने तक्षशिला में ही नागयज्ञ किया था।
ऐतिहासिक काल में बुद्ध के समकालीन शासक का नाम पुक्कुसाति / पुष्करसारिन् मिलता है। उसने मगध नरेश बिम्बिसार के पास अपना दूतमण्डल भेंजा था। पुक्कुसारिन ने अवन्ति पर आक्रमण करके यहाँ के शासक प्रद्योत को पराजित करने का भी विवरण मिलता है। पश्चिमोत्तर में स्थित होने के कारण इसपर बार-बार आक्रमण होते रहे :-
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- जिस समय गंगाघाटी में मगध साम्राज्य का उदय हो रहा था उसी समय पश्चिमोत्तर में दो भीषण आक्रमण हुए।
- एक, फारस के अखामनी शासकों द्वारा। दारा-प्रथम के नेतृत्व में यह आक्रमण सफल रहा और गांधार, कंबोज और निचली सिंधु घाटी पर फारस का आधिपत्य लगभग २०० वर्षों तक रहा।
- द्वितीय, मकदूनिया के सिकंदर का आक्रमण।
- मौर्योत्तर काल में इस क्षेत्र पर हिन्द-यवन, शक और कुषाणों ने शासन किया।
- गुप्तोत्तर काल में यह बर्बर हूणों द्वारा आक्रांत होती रही जिससे तक्षशिला जैसी विद्या नगरी का पतन हो गया।
- जिस समय गंगाघाटी में मगध साम्राज्य का उदय हो रहा था उसी समय पश्चिमोत्तर में दो भीषण आक्रमण हुए।
सिकंदर के आक्रमण के समय इस जगह का शासक आम्भी था। मौर्यकाल में तक्षशिला उत्तरापथ की राजधानी थी। मौर्यकाल के बाद क्रमशः इंडो-ग्रीक, शक, कुषाण और गुप्तों ने शासन किया। हूणों के हमले ने शिक्षा के इस शहर को नष्ट कर दिया। यह शहर ह्वेनसांग के समय उजाड़ था। तक्षशिला का इतिहास सातवीं शताब्दी के बाद अंधेरे के गर्त में खो गया।
कनिंघम महोदय ने १८६३ में तक्षशिला के खंडहरों का पता लगाया। १९१२ से लेकर १९२९ ई॰ तक जॉन मार्शल के नेतृत्व में यहाँ पर व्यापक उत्खनन कराया गया। यहाँ पर तीन टीले हैं — भीर का टीला, सिरकप का टीला और सिरमुख का टीला।
- भीर के टीले से जो बसावट के साक्ष्य मिले हैं उसमें मकानों की कोई स्पष्ट योजना नहीं मिलती, यहाँ मकान मिट्टी और पत्थर से बनाये गये थे।
- सिरकप के टीले से सुनियोजित नगर योजना मिलती है। भवन पत्थरों से बनाये गये थे। सड़कें और गलियाँ सीधी थी और समकोण पर काटती थीं। इसके पास अशोक द्वारा निर्मित धर्मराजिका स्तूप के अवशेष मिले हैं।
- सिरमुख के टीले पर कुषाणकाल में बस्ती बसायी गयी थी।
तक्षशिला एक शिक्षा केन्द्र के रूप में
तक्षशिला की प्रसिद्ध का कारण यहाँ का शिक्षा केंद्र था। बौद्ध साहित्यों से ज्ञात होता है कि यह धनुर्विद्या और वैद्यक के लिए प्रसिद्ध था। यहाँ भारत के कोने-कोने से विद्यार्थी शिक्षार्जन के लिए तो आते ही थे साथ ही मध्य एशिया, पश्चिमी एशिया और चीन तक के विद्यार्थी यहाँ आया करते थे।
तिलमुत्थि जातक से पता चलता है कि यहाँ का अनुशासन कठोर था। धनी या निर्धन छात्रों में कोई भेदभाव नहीं किया जाता था। उल्लेख मिलता है कि यहाँ ६० से अधिक विषय पढ़ाये जाते थे। यह उच्च शिक्षा केन्द्र था। तक्षशिला से शिक्षाप्राप्त विद्यार्थियों का बड़ा सम्मान था और वे बड़े-बड़े पदों पर नियुक्त होते थे।
विद्वानों का मत है कि यहाँ पृथक-पृथक छोटे-छोटे गुरुकुल थे। गुरुकुल के गुरुओं के अलावा उनपर किसी अधिकारी या केन्द्रीय संस्था का नियंत्रण नहीं होता था। यहाँ पर धनी विद्यार्थी शिक्षण शुल्क पूर्व में ही दे दिया करते थे। शासक, व्यापारी और ग्रामीण उदारतापूर्वक विश्वविद्यालय को दान दिया करते थे।
तक्षशिला विश्वविद्यालय से निकले ऐतिहासिक व्यक्तित्व
यहाँ शिक्षा प्राप्त करनेवाले कुछ ऐतिहासिक व्यक्ति हैं: –
- काशी नरेश ब्रह्मदत्त के पुत्रों ने यहाँ शिक्षा पायी थी,
- कोसल नरेश प्रसेनजित;
- मल्ल सरदार बंधुल ( कोसल नरेश प्रसेनजित के सहपाठी थे ),
- लिच्छवि महालि ( कोसल नरेश प्रसेनजित के सहपाठी थे ),
- मगध के राजवैद्य जीवक;
- अंगुलिमाल ( जिसे बुद्ध ने अपना शिष्य बनाया था ),
- पाणिनी, अष्टाध्यायी के लेखक;
- महर्षि वररुचि,
- महर्षि कात्यायन,
- प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ चाणक्य ने यहीं शिक्षा पायी और बाद में यहाँ के आचार्य भी बने,
- चंद्रगुप्त मौर्य ने यहां अपनी सैन्य शिक्षा पूरी की थी,
- बौद्ध विद्वान वसुबंधु;
- चरक, भारतीय चिकित्सा के पिता।
- सुश्रुत, शल्य चिकित्सा।
तक्षशिला विश्वविद्यालय में शिक्षाप्राप्त कुछ ऐसे महान व्यक्तित्व निकले जिन्होंने भारतीय इतिहास की दशा और दिशा ही बदल दी; जैसे – चाणक्य और चंद्रगुप्त मौर्य की गु्रु-शिष्य की जोड़ी।
प्राचीन भारतीय शिक्षा व्यवस्था कैसी थी ?