कुछ प्रमुख बौद्ध विद्वान एवं दार्शनिक

बौद्ध विद्वान एवं दार्शनिक

बौद्ध धर्म में बहुत सारे विद्वान और दार्शनिकों का आविर्भाव हुआ जिन्होंने धर्म और दर्शन के विकास में योगदान दिया। इनमें से कुछ प्रमुख बौद्ध विद्वान एवं दार्शनिक निम्न हैं :—

अश्वघोष

ये कनिष्क के समकालीन एक प्रतिभासम्पन्न कवि, नाटककार, संगीतकार, विद्वान और तर्कशास्त्री थे। अश्वघोष ने बुद्धचरित, सौन्दरानन्द और शारिपुत्र-प्रकरण की रचना  है। इसमें से प्रथम दो महाकाव्य जबकि अंतिम नाटक है। ये रचनायें संस्कृत भाषा में हैं। अश्वघोष ने बुद्ध का वीणावादन के साथ यशगान करते हुए विभिन्न नगरों और ग्रामों की यात्रा की तथा देश के विभिन्न भागों में बौद्ध धर्म का प्रचार किया।

नागार्जुन

ये सातवाहन शासक यज्ञश्री गौतमीपुत्र ( १६६ – १९६ ई० ) के समकालीन थे। इन्होंने बौद्ध दर्शन के माध्यमिक विचार धारा का प्रतिपादन किया जिसे ‘शून्यवाद’ के नाम से जाना जाता है।

असंग और वसुबन्धु

ये दोनों भाई थे। इनका समयकाल प्रथम शताब्दी ईसवी है। असंग अपने गुरू मैत्रेयनाथ द्वारा स्थापित योगाचार या विज्ञानवाद के महत्वपूर्ण आचार्य थे। वसुबन्धु ने ‘अभिधम्मकोश’ की रचना की जिसे बौद्ध धर्म का विश्वकोश कहा जाता है।

बुद्धघोष

५वीं शताब्दी ई० के पाली भाषा के महान विद्वान थे। इनकी प्रसिद्ध कृति ‘विसुद्धिमग्ग’ है, जोकि हीनयान उपसम्प्रदाय से सम्बंधित रचना है।

बुद्धपालित और भावविवेक

इनका समयकाल ५वीं शताब्दी ईसवी है। ये दोनों विद्वान नागार्जुन द्वारा प्रतिपादित शून्यवाद के प्रमुख विद्वान थे।

दिङ्गनाथ

५वीं शताब्दी के यह बौद्ध धर्म के तर्कशास्त्र के प्रवर्तक के रूप में विख्यात हैं। इन्होंने तर्कशास्त्र पर लगभग १०० रचनायें की हैं। इन्हें मध्यकालीन न्याय के जनक के रूप में निर्दिष्ट किया जाता है।

धर्मकीर्ति

७वीं शताब्दी के महान बौद्ध नैयायिक थे। वे दार्शनिक, चिन्तक और भाषा वैज्ञानिक थे। उनकी रचनायें परवर्ती बौद्ध धर्म के मीमांसात्मक चिन्तन में शीर्ष मानी जाती है। विद्वान डॉ० स्ट्रेच वात्सकी ने इन्हें ‘भारतकान्त’ कहा है।

 

गौतम बुद्ध

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Index
Scroll to Top