भूमिका
कुमारगुप्त तृतीय के बाद विष्णुगुप्त () शासक बना। वह ५४३ ई० में शासक बना और ५५० ईस्वी तक राज्य करता रहा। इसके बाद गुप्त साम्राज्य पूर्णतया छिन्न-भिन्न हो गया।
संक्षिप्त परिचय
नाम | विष्णुगुप्त |
पिता | कुमारगुप्त (तृतीय) |
माता | — |
पत्नी | — |
पुत्र | — |
पूर्ववर्ती शासक | कुमारगुप्त (तृतीय) |
उत्तराधिकारी | गुप्त राजवंश का अंतिम ज्ञात शासक |
शासनकाल | ≈ ५४३ ई० ५५० ई० तक |
उपाधि | परमभागवत, महाराजाधिराज, परमदैवत, परमभट्टारक |
अभिलेख | विष्णुगुप्त का नालंदा मुद्रालेख |
विष्णुगुप्त का दामोदरपुर ताम्र-लेख अभिलेख (पाँचवाँ) |
राजनीतिक इतिहास
विष्णुगुप्त के नालन्दा से प्राप्त एक मुद्रालेख में गुप्त राजवंश की वंशावली पूरुगुप्त से लेकर विष्णुगुप्त तक मिलती है। इसके अनुसार वह कुमारगुप्त (तृतीय) का पुत्र था। परन्तु माता का नाम मुद्रालेख में मिट जाने के कारण अज्ञात है। इसमें उसको परमभागवत और महाराजाधिराज कहा गया है।
“[महा]राजाधिराज श्री कुमारगुप्तस्तस्य पुत्रस्तपादानुध्यातो [महा]-
[देव्यां श्री — — — — देव्यामुत्प]नः परमभागवतो महाराधिराज श्री विष्णुगुप्त।”
—पंक्ति संख्या- ३, ४; विष्णुगुप्त का नालंदा मुद्रालेख
इसी तरह दामोदरपुर से प्राप्त पाँचवें ताम्र-लेख में उसे परमदैवत, परमभट्टारक और महाराजाधिराज कहा गया है—
“परमदैवत-परमभट्टारक-म[हा] राजाधिराज- श्री विष्णु]-
गुप्ते पृथिवीपतौ”
—पंक्ति संख्या- १, २; विष्णुगुप्त का दामोदरपुर ताम्र-लेख अभिलेख (पाँचवाँ)
उपर्युक्त दोनों अभिलेखों से अधोलिखित तथ्य ज्ञात होते हैं—
- उसके पिता का नाम कुमारगुप्त (तृतीय) था।
- उसके माता का नाम मिट जाने के कारण अज्ञात है।
- वह कुमारगुप्त (तृतीय) के बाद लगभग ५४३ ई० में शासक बना।
- उसके परमभट्टारक और महाराजाधिराज विरुद से ज्ञात होता है कि वह मगध का स्वतंत्र गुप्त शासक था।
- परमदैवत उपाधि से ज्ञात होता है कि वह बौद्ध धर्मावलम्बी था।
- परमभागवत विरुद से ज्ञात होता है कि वह अपने पूर्वजों के इस परिपाटी का वहन करता रहा जिसमें वह इसे धारण करते थे।
- दामोदरपुर ताम्र-लेख अभिलेख (पंचम) गुप्तकालीन भूमि क्रय से सम्बन्धित है और विषय की प्रशासनिक जानकारी का स्रोत है।
शासनकाल
वर्तमान बाँग्लादेश के रंगपुर जनपद में स्थित दामोदरपुर से प्राप्त विष्णुगुप्त के ताम्र-लेख की तिथि गुप्त सम्वत् २२४ है। अर्थात् वह ५४३ ई० में शासन कर रहा था और ≈ ५५० ईस्वी तक राज्य करता रहा।
विष्णुगुप्त के बाद गुप्त साम्राज्य पूर्णतया छिन्न-भिन्न हो गया। ५५० ई० तक गुप्त साम्राज्य के विघटन की प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी थी।
इस तरह विष्णुगुप्त का शासनकाल मोटे-तौर पर ५४३ ई० से ५५० ई० के मध्य माना जा सकता है।
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