मौर्योत्तर सिक्के

भूमिका

सिक्का निर्माण की दृष्टि से मौर्योत्तर काल अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। पूर्ववर्ती पंचमार्क सिक्कों के आगे की यह विकसित अवस्था है। आगे चलकर यह मुद्रा व्यवस्था मानक बनने वाली थी। इसलिए मौर्योत्तर सिक्के पर संक्षिप्त दृष्टिपात समीचीन होगा।

प्रमुख विशेषताएँ

इस काल के मुद्रा व्यवस्था की कुछ प्रमुख विशेषताएँ अधोलिखित हैं—

  • पहली बार लिखित सिक्के ढलवाये गये।
  • पहली बार सिक्कों पर राजाओं के आकृतियाँ अंकित की गयी।
  • इसी काल में सर्वप्रथम स्वर्ण सिक्के ढाले गये। जिसमें सें कुषाणों ने सर्वाधिक शुद्ध सोने के सिक्के चलवाये।
  • इस काल में सर्वाधिक ताँबे के सिक्के ढलवाये गये।

भारतीय-यूनानी सिक्के (Indo-Greek coins)

  • पश्चिमोत्तर में सर्वप्रथम यूनानियों ने सोने के सिक्के चलाये। इनके स्वर्ण सिक्के ‘स्टेटर’ कहलाते हैं। इनके स्वर्ण सिक्कों का वजन १३३ ग्रेन होता था। सम्भवतः मिनान्डर ने सबसे पहले स्वर्ण सिक्का चलाया था।
  • इनके चाँदी के सिक्के ‘द्रम्म’ कहलाते थे। चाँदी के सिक्कों का भार ८२.२ ग्रेन होता था। उल्लेखनीय है कि द्रम्म शब्द यूनानी शब्द द्रख्म से आया है और यही पहले द्रम्म और बाद में दाम बन गया।
  • भारतीय-यूनानी शासकों ने ‘द्विभाषा युक्त’ सिक्के चलवाये जिसमें एक ओर प्राकृत भाषा व खरोष्ठी लिपि और दूसरी ओर यूनानी भाषा और यूनानी लिपि में लेख अंकित मिलते हैं।

शकों के सिक्के

  • शकों ने मुख्यतया चाँदी के सिक्के ढलवाये।
  • रुद्रदामन ने ‘रुद्रदामक’ नामक चाँदी का सिक्का चलाया।
  • नहपान के ‘त्रिभाषा युक्त’ चाँदी के सिक्के मिले हैं।
  • नहपान के समय स्वर्ण : कार्षापण (चाँदी का सिक्का) विनिमय दर १ : ३५ थी। जबकि कुछ विद्वानों के अनुसार यह विनिमय दर १ : २८.५७ थी।*

कार्षापण-सहस्राणि सतरि ७००० पंचत्रिंशक सुवण कृता दिन सुवर्ण सहस्रणं मूल्यं [ ॥ ]* — उषावदत्त का नहपानकालीन नासिक गुहालेख

  • जबकि इसी समय शक व कुषाण के समय स्वर्ण : रजत अनुपात १ : १४ थी।

कुषाणों के सिक्के

  • कुषाणों ने रोमन नमूनों पर अपने स्वर्ण सिक्के ढलवाये।
  • कुषाणों द्वारा ढलवाये गये सिक्कों का भार १२४ ग्रेन होता था।
  • कुषाणों ने प्राचीन भारतीय इतिहास में सर्वाधिक शुद्ध स्वर्ण सिक्के ढलवाये थे।
  • विम कडफिसेस के सिक्कों पर हमें सबसे पहले भगवान शिव की आकृति देखने को मिलती है।
  • कनिष्क के सिक्कों पर हमें सबसे पहले भगवान बुद्ध की आकृति देखने को मिलती है।
  • हुविष्क के सिक्कों पर सर्वाधिक देवी-देवताओं का अंकन मिलता हैं।
  • कुषाणों ने ही प्राचीन इतिहास में सर्वाधिक ताँबे की सिक्के ढलवाये।

विस्तृत विवरण के लिये देखें — कुषाण सिक्के

सातवाहनों के सिक्के

  • सातवाहनों ने चाँदी, ताँबा, काँसा, शीशा, पोटीन आदि धातुओं के सिक्के चलाये।
  • सातवाहनों ने सबसे पहले शीशे के सिक्के चलवाये।
  • पोटीन मिश्र धातु के सिक्के होते थे जिसका आधार चाँदी (base silver) था।
  • सातवाहनों के सिक्कों पर विभिन्न आकृतियाँ मिलती हैं; यथा— मछली, जहाज, शंख, हाथी आदि।
  • यज्ञश्री शातकर्णि के सिक्कों पर हमें मछली, जहाज आदि का अंकन मिलता है। यज्ञश्री शातकर्णि के सिक्के पर जहाज का चिह्न उसके समुद्री व्यापार का प्रतीक है।

सिक्कों से सम्बन्धित शब्दावली

  • निष्क, सुवर्ण – स्वर्ण सिक्के
  • पल – स्वर्ण सिक्के, सातवाहनों के काल में प्रचलित
  • शतमान – चाँदी का सिक्का
  • पोटीन – सातवाहनों द्वारा चलाया गया मिश्र धातु का सिक्का जिसका आधार चाँदी धातु होता था।
  • कार्षापण – इसमें सभी धातुओं के सिक्के शामिल थे, अर्थात् यह शब्द सोना, चाँदी, ताँबा, काँसा, शीशी आदि सभी सिक्के के लिये प्रयुक्त होता था।
  • स्टेटर (stater) – यूनानी स्वर्ण सिक्के
  • द्रम्म – यूनानी चाँदी के सिक्के
  • रुद्रदामक – रुद्रदामन का चाँदी का सिक्का

FAQ

मौर्योत्तर काल की सिक्का निर्माण पर संक्षिप्त टिप्पड़ी लिखिए।

Write a short note on coin-minting of the post-Mauryan period.

उत्तर —

इस काल के मुद्रा व्यवस्था की कुछ प्रमुख विशेषताएँ अधोलिखित हैं—

  • सर्वप्रथम लिखित सिक्के ढलवाये गये।
  • सर्रवप्रथम राजाओं की आकृति युक्त सिक्के ढलवाये गये।
  • इसी काल में सर्वप्रथम स्वर्ण सिक्के ढाले गये।
  • जिसमें सें कुषाणों ने सर्वाधिक शुद्ध सोने के सिक्के चलवाये।
  • इस काल में सर्वाधिक ताँबे के सिक्के ढलवाये गये।

भारतीय-यूनानी सिक्के

  • सर्वप्रथम यूनानियों ने स्वर्ण सिक्के चलाये।
  • इनके चाँदी के सिक्के ‘द्रम्म’ कहलाते थे।
  • भारतीय-यूनानी शासकों ने लेखयुक्त सिक्के चलाये।

शकों के सिक्के

  • शकों ने मुख्यतया चाँदी के सिक्के ढलवाये।
  • रुद्रदामन ने ‘रुद्रदामक’ नामक चाँदी का सिक्का चलाया।
  • नहपान के ‘त्रिभाषा युक्त’ चाँदी के सिक्के मिले हैं।

कुषाणों के सिक्के

  • कुषाणों ने प्राचीन भारतीय इतिहास में सर्वाधिक शुद्ध स्वर्ण सिक्के ढलवाये थे।
  • कुषाणों ने सर्वाधिक ताँबे के सिक्के ढलवाये।
  • कुषाण शासकों पर हमें विभिन्न देवी देवताओं की आकृतियों का अंकन मिलता है।

सातवाहनों के सिक्के

  • सातवाहनों ने चाँदी, ताँबा, काँसा, शीशा, पोटीन आदि धातुओं के सिक्के चलाये।
  • सातवाहनों ने सबसे पहले शीशे के सिक्के चलवाये।

कुषाण-सिक्के (Kushan-Coins)

मौर्योत्तर समाज (२०० ई०पू० – ३०० ई०)

मौर्योत्तर राजव्यवस्था (२०० ई०पू० – ३०० ई०)

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