भूमिका
नागों की राजधानी पद्मावती (ग्वालियर) के दक्षिण-पूर्व में मघों का राज्य स्थित था। पहले उसका राज्य केवल बघेलखण्ड (रीवाँ मंडल) तक ही सीमित था। मघवंश के राजाओं का क्रमबद्ध इतिहास तथा उनके काल की घटनाओं के विषय में हमारा ज्ञान अत्यल्प है। कौशाम्बी में २५० ई० तक मघ राजवंश ने शासन किया।
विवरण
- इस वंश का प्रथम ज्ञात शासक वाशिष्ठीपुत्र भीमसेन है।
- वाशिष्ठीपुत्र भीमसेन के पुत्र का नाम कौत्सीपुत्र पोठसिरि मिलता है। वह एक योग्य शासक था। उसकी राजधानी बन्धोगढ़ में थी।
- १५५ ई० के लगभग इस वंश के भद्रमघ ने कौशाम्बी को कुषाणों से हस्तगत कर लिया।
- यहाँ से शक सम्वत् ८१ (१५९ ई०) का भद्रमघ का एक लेख मिला है।
- भद्रमघ ने सिक्के भी उत्कीर्ण करवाये थे।
- भद्रमघ के पश्चात् गौतमीपुत्र शिवमध शासक बना।
- गौतमीपुत्र शिवमध के पश्चात् वैश्रमण ने शासन किया।
- वैश्रमण के समय में मघ राज्य उत्तर की ओर फतेहपुर तक विस्तृत हो गया था।
समय निर्धारण
- मघ लगभग द्वितीय सदी ई० से लेकर गुप्तों के अभ्युदय तक मध्य भारत की एक महत्त्वपूर्ण शक्ति थे, जिनकी मुद्राएँ तथा अभिलेख, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ से प्राप्त हुए हैं।
- मघों के सम्बन्ध में प्रथम ऐतिहासिक सूचना हमें वायुपुराण से प्राप्त होती है। वायुपुराण में उन्हें कोसल का शासक बताया गया है। इस कोसल का सम्बन्ध दक्षिण कोसल से है। दक्षिण कोसल के अन्तर्गत छत्तीसगढ़ एवं उड़ीसा का भाग आता है।
- इतिहासकार जी० आर० शर्मा के निर्देशन में कौशाम्बी में कराये गये उत्खनन से मघ राजवंश के सम्बन्ध में कुछ पुष्ट प्रमाण मिले हैं। कौशाम्बी उत्खनन से प्राप्त मुद्राएँ कुषाण मुद्राओं के ऊपरी स्तर से प्राप्त हुई हैं। इस पुरातात्विक प्रमाण से स्पष्ट होता है कि कौशाम्बी और उसके आस-पास के क्षेत्रों में कुषाणों के पश्चात् मघों ने अपनी सत्ता स्थापित कर ली थी।
- इसके अतिरिक्त अभिलेखों में प्रयुक्त तिथि, उनकी लिपिगत विशेषता तथा मुद्रा लिपि के तुलनात्मक अध्ययन के आधार पर लिपिशास्त्रवेत्ता इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि मघ राजवंश ने कुषाणों के बाद कौशाम्बी के आस-पास के क्षेत्रों पर शासन किया और चक्रवर्ती गुप्तों के उदय से वे नेपथ्य में चले गये।
बड़वा का मौखरि वंश (Maukhari Dynasty of Barwa)
आंध्र इक्ष्वाकु या विजयपुरी के इक्ष्वाकु
चुटु राजवंश या चुटुशातकर्णि राजवंश
बृहत्पलायन वंश या बृहत्फलायन वंश