बृहत्पलायन वंश या बृहत्फलायन वंश

भूमिका

बृहत्पलायन (Bruhat Palayana) / बृहत्फलायन (Brihatphalayana) वंश एक प्राचीन भारतीय राजवंश था जो वर्तमान आंध्र प्रदेश राज्य में निचली कृष्णा नदी घाटी के आसपास मसूलीपट्टनम् व गुंटूर भू-भाग पर विस्तृत था। बृहत्पलायन को बृहत्फलायन वंश भी कहा जाता है।

  • बृहद्-पलायन (Bruhat Palayana) दो शब्दों से मिलकर बना है — बृहत् (विशाल) + पलायन (चलना)।
  • बृहत्पलायन पहले ईक्ष्वाकुओं के अधीन थे।

संक्षिप्त परिचय

  • राजधानी — पिथुंड
  • धर्म — वैदिक (महेश्वर भक्त)
  • शासन व्यवस्था — राजतन्त्र
  • शासनकाल — २७०-२८५ ई०, पूर्व-गुप्त काल
  • पूर्ववर्ती राजवंश — आंध्र-इक्ष्वाकु
  • पश्चातवर्ती राजवंश — पल्लव
  • शासक — जयवर्मा
  • राजवंश का नाम — बृहत्पलायन या बृहत्फलायन राजवंश

राजनीतिक इतिहास

बृहत्पलायन राजवंश का स्वतन्त्र शासनकाल अल्पकालीन रहा। पहले वे इक्ष्वाकुओं के अधीन थे। जयवर्मा के नेतृत्व में बृहत्पलायन कुछ समय के स्वतन्त्र तो हुए परन्तु उसके बाद वे पल्लवों के अधीनता में आ गये। बृहत्-पलायन वंश की एक राजकुमारी का विवाह आंध्र-इक्ष्वाकु राजवंश में हुआ था। इस तरह इनकी स्वतन्त्रता अल्पकालीन रही।

बृहत्पलायन राज्य

जयवर्मा (२७०-२८५ ई०)

  • जय वर्मा (Jaya Varma) बृहत्पलायन (बृहत्फलायन) वंश का एकमात्र ज्ञात शासक है।
  • जयवर्मा ने २७०-२८५ ई० के बीच पिथुंड को अपनी राजधानी बनाकर कृष्णा नदी की निचली घाटी के आसपास के भू-भाग पर शासन किया।
  • कोंडामुडी (Kondamudi) में २८० ई० के आसपास जयवर्मा द्वारा कुडुरु आहार (जनपद) के राज्यपाल को जारी किये गये एक आदेश के रूप में एक अनुदान-ताम्र-पट्टिका खोजी गयी है। यह ताम्र-पत्र कुडुरा (Kudura) में उनके विजय शिविर का वर्णन करता है। जयवर्मा ने यह भूमि कई ब्राह्मणों के पक्ष में दान में दी है।
  • जयवर्मा ने एक प्राकृत भाषा में एक चार्टर जारी किया जिसमें उल्लेख किया गया कि वह महेश्वर के भक्त हैं और उन्होंने स्वयं को राजा कहा है।
  • स्थलों की पहचान –
    • पिथुंड, इसकी पहचान गुंटूपल्ली (संदिग्ध रूप से) से की गयी है।
    • कुडुरू, मछलीपट्टनम
    • कोंडामुडी, गुंटूर
    • कुडुरा (Kudura), इसकी पहचान मछलीपट्टनम जनपद के गुडुरु (Guduru) से की गयी है।
  • जयवर्मा को पल्लवों द्वारा पराजित किया गया था।
  • बृहद्-पलायन राज्य मुसला तालुक (Musala Taluk) से गुडीवाड़ा (Gudivada), कोल्लेरू (Kolleru) और गुंटूर (Guntur) के उत्तरी भागों तक विस्तारित था। उन्होंने तेनाली (Tenali) तालुक में पाटूर (Patur) गाँव ८ ब्राह्मणों को दान में दिया।
  • जय वर्मा की मृत्यु के बाद, आनंद गोत्रिकाओं (Ananda Gotrikas) ने कृष्णा नदी के दक्षिण में उनके क्षेत्र पर कब्जा कर लिया और शालंकायनों (Salankayanas) ने नदी के उत्तरी क्षेत्र को अधिकृत कर लिया।
  • बृहद्-पलायनों की राजधानी पिथुन्ड में थी।
  • पिथुन्ड* का उल्लेख हमें हाथीगुम्फा अभिलेख में मिलता है।

[ दखिन दिसं ]  [ मंद ] च अव  राज निवेसितं पीथुण्डं गदभनंगलेन कासयति [ । ]

—  हाथीगुम्फा अभिलेख, पं० – ११

  • पिथुन्ड का उल्लेख हमें टॉलेमी कृत भूगोल में एक महानगर के रूप में मिलता है।
  • बाद में बृहत्फलायन वंश पल्लवों के अधीन आ गये।

नागवंश

बड़वा का मौखरि वंश (Maukhari Dynasty of Barwa)

मघ राजवंश

आभीर राजवंश (Abhira dynasty)

आंध्र इक्ष्वाकु या विजयपुरी के इक्ष्वाकु

चुटु राजवंश या चुटुशातकर्णि राजवंश

शालंकायन वंश (Shalankayana Dynasty)

मालव गणराज्य

अर्जुनायन गणराज्य

यौधेय गणराज्य

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Index
Scroll to Top