पुरुगुप्त (४६७-४७६ ईस्वी)

भूमिका

स्कन्दगुप्त की मृत्यु के पश्चात् गुप्त साम्राज्य का पतन प्रारम्भ हो गया। उपलब्ध प्रमाणों के आधार पर स्कन्दगुप्त के उत्तराधिकारियों का क्रम निर्धारित करना एक कठिन समस्या है। स्कन्दगुप्त के बाद उसका सौतेला भाई पुरुगुप्त गुप्त सम्राट बना।

संक्षिप्त परिचय

नामपुरुगुप्त या पूरुगुप्त
पिताकुमारगुप्त प्रथम
माताअनन्तदेवी
पत्नीचन्द्र देवी
पुत्रबुधगुप्त
नरसिंहगुप्त
वैन्यगुप्त (?)
पूर्ववर्ती शासकस्कन्दगुप्त
उत्तराधिकारीकुमारगुप्त द्वितीय
शासनकाल४६७ से ४७६ ( या ४७३) ई०
धर्मबौद्ध

स्रोत

इसके स्वयं के कोई अभिलेख प्राप्त नहीं हुए हैं। इसकी जानकारी हमें परवर्ती गुप्त अभिलेखों से प्राप्त होती है।

  1. बुधगुप्त का नालंदा मुद्रालेख
  2. वैन्यगुप्त का नालंदा मुद्रालेख
  3. नरसिंहगुप्त के नालंदा मुद्रालेख
  4. कुमारगुप्त तृतीय का भीतरी मुद्रालेख
  5. विष्णुगुप्त का नालंदा मुद्रालेख

पुरुगुप्त के सम्बन्धों का निर्धारण

यह कुमारगुप्त प्रथम का ही पुत्र तथा स्कन्दगुप्त का सौतेला भाई था। सम्भवतः स्कन्दगुप्त सन्तानहीन थे। इसलिए स्कन्दगुप्त के बाद सत्ता पुरुगुप्त के हाथों में आयी।

उसके पुत्रों के मुद्रालेखों में जो गुप्त वंशावली दी गयी है, उसके अनुसार—

  • पिता का नाम – कुमारगुप्त (प्रथम)
  • माता का नाम – महादेवी अनन्तदेवी
  • पत्नी का नाम – महादेवी चन्द्र देवी दिया गया है।

यहाँ कुछ तथ्य विशेष रूप से उल्लेखनीय है—

  • गुप्त वंशावली में स्कन्दगुप्त का नाम नहीं अंकित किया है।
  • पुरुगुप्त के तीन पुत्रों का जानकारी प्राप्त होती है परन्तु इन तीनों का नाम एक साथ एक ही अभिलेख पर नहीं मिलता है। इसलिए उसके उत्तराधिकारियों का क्रम निर्धारित करना कठिन हो जाता है।
  • ये तीनों पुत्र थे—
    • बुधगुप्त
    • वैन्यगुप्त – इसके विषय में संशय है कि यह पुरुगुप्त का पुत्र था या नहीं?
    • नरसिंहगुप्त

पुरुगुप्त के पुत्रों की जो जानकारी हमें मिलती है उसके अनुसार—

बुधगुप्त– पिता पुरुगुप्त, परन्तु माँ का नाम स्पष्ट नहीं है-  बुधगुप्त का नालंदा मुद्रालेख

“महाराजाधिराज] श्रीकुमारगुप्तस्य पुत्रस्तत्पादा[-]

नुध्यातो महादेव्यामनन्तदेव्यामुत्पन्नो म[हाराजाधिराज श्रीपूरुगुप्तस्त

[त्पादानुध्यातो महादेव्यां श्री] [————]देव्यामुत्पन्न [परमभागवतो महाराजाधिराज]

श्रीबुधगुप्तः [I]”

—पंक्ति संख्या- ५, ६, ७; बुधगुप्त का नालंदा मुद्रालेख

नरसिंहगुप्त- पिता पुरुगुप्त, माँ का नाम चन्द्र देवी है- नरसिंहगुप्त के नालंदा मुद्रालेख और कुमारगुप्त तृतीय का भीतरी मुद्रालेख

“महाराजाधिराज श्रीकुमारगुप्तस्तस्य पुत्रस्तत्पा[-]

[दानुद्ध्यातो म]हादेव्यामनन्तदेव्यामुत्पन्नः महाराजाधिराज पूरुगुप्तस्तस्य पु[-]

[त्रस्तत्पादानुद्ध्यातो] महादेव्यां श्रीचन्द्रदेव्यामुत्पन्नः परमभाग[-]

[वतो महाराजाधिरा]ज श्रीनरसिंहगुप्तः [।]”

—पंक्ति संख्या- ५, ६, ७, ८; नरसिंहगुप्त के नालंदा मुद्रालेख

***

“महारा-

जाधिराज श्री कुमारगुप्तस्तस्य पुत्रस्तत्पादानुद्ध्यातो महादेव्यामनन्तदेव्यामुत्पन्नो महारा

जाधिराज श्री पूरुगुप्तस्तस्य पुत्रस्तत्पादानुद्ध्यातो महादेव्यां श्री चन्द्रदेव्यामुत्पन्नो महा-

राजाधिराज श्री नरसिंहगुप्त…”

—पंक्ति संख्या- ४, ५, ६, ७; कुमारगुप्त तृतीय का भीतरी मुद्रालेख

वैन्यगुप्त (?)- पिता पुरुगुप्त, माँ का नाम चन्द्र देवी है। हालाँकि वैन्यगुप्त के नाम को स्पष्ट रूप से पढ़ा नहीं जा सका है।

“महा[-]

[राजाधिराज श्रीपू]रुगुप्तस्तस्य पुत्रस्तत्पादानुद्ध्यातो महादेव्यां श्री[चन्द्रदेव्यामुत्पन्नः]

परमभागवतो महाराजाधिराज श्रीवैन्यगुप्तः [।]”

—पंक्ति संख्या- २, ३, ४; वैन्यगुप्त का नालंदा मुद्रालेख

गुप्त साम्राज्य के पतन का प्रारम्भ

  • पुरुगुप्त के शासनकाल के किसी भी राजनीतिक गतिविधि का ज्ञान हमें प्राप्त नहीं होता है।
  • उसके शासनकाल के सम्बन्ध में बस यह कहा जा सकता है कि वह विशाल गुप्त साम्राज्य के गौरव और उसकी अखण्डता को संरक्षित करने में अक्षम था।
  • दक्षिण में वाकाटक साम्राज्य की सीमा का अतिक्रमण कर रहे थे।
  • पश्चिमोत्तर में हूणों ने उत्पात मचाया हुआ था। इस तरह गुप्त साम्राज्य पतन की ओर बढ़ चला।
  • चूँकि वह वृद्धावस्था में राजा हुआ, अतः उसका शासन अल्पकालीन रहा। उसके समय में गुप्त साम्राज्य की अवनति प्रारम्भ हो गयी थी।
  • परमार्थ कृत ‘वसुबन्धुजीवनवृत्त’ के अनुसार पुरुगुप्त बौद्ध मतावलम्बी थे।

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