भूमिका
संगमकालीन तीन अभिषिक्त शासकों में पाण्ड्य भी थे। तीनों संगमों के संरक्षक पाण्ड्य ही थे। इसका उल्लेख हमें मेगस्थनीज और अशोक के अभिलेखों में भी मिलता है।
संगम साहित्य में पाण्ड्य राजाओं का जो विवरण प्राप्त होता है वह अत्यन्त भ्रामक है तथा उसके आधार पर हम उनके इतिहास का क्रमबद्ध विवरण नहीं जान सकते।
पाण्ड्यों का उल्लेख सर्वप्रथम मेगास्थनीज ने किया है। उसने कहा है कि उनका राज्य मोतियों के लिए प्रसिद्ध है। उसके अनुसार इस राज्य की शासनसत्ता स्त्री के हाथ में थी, जिससे यह संकेत मिलता है कि पाण्ड्य समाज में कुछ मातृतन्त्रात्मक प्रभाव (matriarchal influence) था।
पांड्य राजाओं को रोमन साम्राज्य के साथ व्यापार में लाभ होता था और उन्होंने रोमन सम्राट् ऑगस्टस के दरबार में राजदूत भेजे। पाण्ड्य राजा ने ईसा की आरम्भिक सदियों में वैदिक यज्ञ किये।
संक्षिप्त विवरण
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पाण्ड्य राज्य की स्थिति
संगम युग के तीन प्रमुख राज्यों में से एक राज्य पाण्ड्यों का भी था। पाण्ड्य राज्य कावेरी नदी के दक्षिण में स्थित था। यह राज्य भारतीय प्रायद्वीप में सुदूर दक्षिण और दक्षिण-पूर्वी भाग में था स्थित था। इसमें तमिलनाडु का आधुनिक मदुरा, विरुदुनगर, रामनद (रामनाथपुरम्), टुट्टीक्कुटी और तिन्नवेल्ली (तिरुनेवेली) जनपद के अतिरिक्त त्रावणकोर के कुछ भाग सम्मिलित थे। पाण्ड्य राज्य की राजधानी मदुरा थी।
प्रमुख शासक
- मानगुडी मरुदन कृत मदुरैक्कांची (Maduraikkanchi) और अन्य साहित्यों से हमें पांड्य सिंहासन पर नेदुंजेलियन के तीन पूर्ववर्ती पाण्ड्य शासकों की जानकारी मिलती है:
- नेडियोन्
- पलशालै मुदुकुडमै
- और नेडुंजेलियन
- परन्तु इन पूर्ववर्ती तीन शासकों के विषय में अधिक ज्ञात नहीं है और उनका शासनकाल भी ठीक ढंग से निर्धारित कर पाना कठिन है। जो भी ज्ञात है वह भी किंवदंतियों और कल्पनाओं से आच्छादित है।
नेडियोन् (Nediyon)
- नेडियोन (Nediyon) पाण्ड्य राजवंश का पहला शासक था।
- यह एक अर्ध-पौराणिक (semi-mythical) पाण्ड्य शासक है अर्थात् इसकी ऐतिहासिकता संदिग्ध है।
- नेडियोन (Nediyon) का अर्थ है— लम्बे कद वाला व्यक्ति (the tall one)।
- संगम काव्यानुश्रुतियों के अनुसार इसको निम्नलिखित श्रेय दिया जाता है –
- पहरुली (Pahruli) नामक नदी को अस्तित्त्व प्रदान करने का श्रेय
- दक्षिण में समुद्र की पूजा प्रारम्भ करवाने का श्रेय
- यह मदुरई में शिव के पवित्र खेल जैसी किंवदंतियों से जुड़ा हुआ है।
पलशालै मुदुकुदुमी
- पलशालै मुदुकुदुमी या मुदुकुडमी (Palsalai Mudukudumi) में से ‘पलशालै’ का अर्थ होता है— यज्ञशालाएँ बनवाने वाला (of many sacrificial halls)।
- मुदुकुडमी ने कई यज्ञ सम्पन्न करवाये थे। इसीलिए इसको ‘पलशालै’ (Palsalai) की उपाधि मिली।
- वेलविकुडी दानपत्र (Velvikudi grant) के अनुसार यह पाण्ड्य वंश का पहला ऐतिहासिक शासक था।
- यह विजित क्षेत्रों के साथ अपने कठोर व्यवहार के लिए जाना जाता है।
नेदुंजेलियन
- नेदुंजेलियन (Nedunjeliyan) नाम से दो शासक हुये हैं।
- इन दोनों में अंतर रखने के लिए इन्हें प्रथम और द्वितीय कहा गया है|
- प्रथम की प्रसिद्धि उत्तर भारतीय सेना को पराजित करने के कारण है|
- दूसरे की प्रसिद्धि तलैयालंगानम युद्ध के विजेता के कारण है|
नेदुंजेलियन प्रथम
- इस नेदुंजेलियन (Nedunjeliyan) की पहचान यह है कि ‘वह जिसने आर्य (अर्थात् उत्तर भारतीय) सेना के विरुद्ध विजय प्राप्त की’ (he who won a victory against an Aryan army, i.e. North Indian army)।
- इस तरह नेदुंजेलियन (Nedunjeliyan) उत्तर भारतीय (आर्य) सेना को हराने के लिए प्रसिद्ध है।
- यह शिलप्पदिकारम् के नायक कोवलन की मृत्यु की दुखद कहानी से भी जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि इस त्रासदी के कारण गहरे हृदयाघात से उनकी मृत्यु हो गयी।
“The tragedy of Kovalan’s death at Madura occurred in his reign, which according to the Silappadikāram caused the king to have died of a broken heart.” — A History of South India; p. 129; Nilakantha Shastri.
- इसने जन्म और जाति से अधिक शिक्षा को महत्त्व देने वाली एक छोटी कविता भी लिखी है।
नेडुंजेलियन द्वितीय
- नेदुंजेलियन (Nedunjeliyan) नाम के दो शासक हुए इसलिए भ्रांति से बचने के लिए इसको नेदुनजेलियन द्वितीय कहा जाता है।
- तलैयालंगानम (Talaiyalanganam) युद्ध का विजेता होने के कारण इसको तलैयालंगानम नेदुनजेलियन भी कहते हैं।
- नेदुंजेलियन (Nedunjeliyan) का शासनकाल २१० ई० या २९० ई० के आसपास माना जाता है।
- पाण्ड्य राजवंश का प्रथम महत्त्वपूर्ण एवं शक्तिशाली राजा नेडुंजेलियन हुआ।
- कवि मानगुडी मरुदन / मानगुडी किलार (Mangudi Marudan /Mangudi Kilar) और नक्कीरर (Nakkirar) ने नेदुंजेलियन की प्रशंसा में कविताएँ लिखी हैं। इन दोनों कवियों ने पत्तुप्पात्तु (दस गीत) और पुरम व अहम जैसे अन्य संग्रहों में योगदान दिया।
तलैयालंगानम का युद्ध
- सिंहासनारोहण के समय नेदुंजेलियन अल्पायु था।
- सिंहासनारोहण के समय ही उसपर आक्रमण हुआ।
- चेर, चोल तथा पाँच अन्य राजाओं ने मिलकर उसके राज्य को जीता तथा राजधानी मदुरा को घेर लिया।
- परन्तु नेडुन्जेलियन् अत्यन्त वीर और साहसी था।
- उसने अपने शत्रुओं को राजधानी से खदेड़ दिया।
- वह उनका पीछा करते हुए चोल राज्य की सीमा में घुस गया जहाँ तलैयालंगानम (Talaiyalanganam, near Tiruvarur) के युद्ध में सभी को बुरी तरह परास्त किया।
- चेर शासक शेय (हाथी के समान आँख वाला शेय) को उसने बन्दी बनाकर अपने कारागार में डाल दिया।
- इसके अतिरिक्त मिल्ले तथा मुतुरु नामक दो प्रदेशों पर भी उसने अधिकार कर लिया।
- इस प्रकार अल्पकाल में ही उसने न केवल अपने पैतृक राज्य को सुरक्षित किया अपितु उसका विस्तार भी कर दिया।
- तलैयालनगानम का युद्ध जीतने के बाद उसने ‘तलैयालंगानम्’ की उपाधि धारण की।
अन्य विवरण
- मदुरैक्कांची (Maduraikkanchchi) नामक ग्रन्थ में नेडुन्जेलियन के कुशल शासन का विवरण मिलता है।
- महान् विजेता होने के साथ-साथ तलैयालंगानम् नेडुंजेलियन विद्वानों का आश्रयदाता, उदार प्रशासक एवं धर्मनिष्ठ व्यक्ति था। संगम युगीन कवियों ने उसकी उदारता एवं दानशीलता की प्रशंसा की है। नक्कीरर और मामुंडिमरुदन कवियों को उसने संरक्षण दिया।
- वह वैदिक धर्म का पोषक था तथा उसने अनेक यज्ञों का अनुष्ठान करवाया था। उसकी राजधानी मदुरा तत्कालीन भारत की अत्यन्त प्रसिद्ध व्यापारिक एवं सांस्कृतिक नगरी बन गयी थी।
- नेडुन्जेलियन् के पश्चात् कुछ समय के लिये पाण्ड्य राज्य का इतिहास अन्धकारपूर्ण हो गया। फिरभी दो शासकों के नाम मिलते हैं— विरिवरशेलिय ‘चित्तिरमरदत्रुतुंजियवरमरन’ और नल्लिवकोडन।
विरिवरशेलिय
- नेडुन्जेलियन् के पश्चात् उसका भाई विरिवरशेलिय गद्दी पर बैठा।
- इसकी मृत्यु भित्तिचित्रों को देखते हुए हुई। इसीलिए इसको ‘चित्तिरमरदत्रुतुंजियवरमरन’ के नाम से भी जाना जाता है।
नल्लिवकोडन
- पाण्ड्य वंश का संगमकालीन अन्तिम ज्ञात शासक था।
निष्कर्ष
इस तरह संगमकालीन तीन अभिषिक्त शासकों में पाण्ड्य राजवंश का विशेष महत्त्व है| उन्हीं के संरक्षण मे तीन संगमों का आयोजन हुआ| इस राजवंश का सबसे प्रमुख शासक नेदुनजेलियन हुआ| उसके बाद पाण्ड्य राज्य का इतिहास अंधकारपूर्ण हो जाता है| सातवीं शताब्दी में पाण्ड्य सत्ता का पुनः उत्कर्ष हुआ।
चोल वंश या चोल राज्य : संगमकाल (The Cholas or The Chola’s Kingdom : The Sangam Age)
चेर राज्य या चेर राजवंश : संगमकाल (The Chera Kingdom or The Chera Dynasty : The Sangam Age)