द्वितीय संगम या द्वितीय तमिल संगम

भूमिका

८वीं शताब्दी में इरैयनार अगप्पोरुल (Iraiyanar Agappaorul) के भाष्य की भूमिका में हमें तीन संगमों का विवरण प्राप्त होता है। इसके अनुसार ये तीनों संगम ९,९९० वर्ष तक चला, जिसमें ८,५९८ कवियों ने भाग लिया और इसे १९७ पाण्ड्य शासकों का संरक्षण प्राप्त हुआ। इन तीन संगमों में से द्वितीय संगम (द्वितीय तमिल संगम) का संक्षिप्त विवरण अधोलिखित है।

संक्षिप्त परिचय

  • आयोजन स्थल – कपाटपुरम् या अलवै
  • संस्थापक अध्यक्ष – अगस्त्य ऋषि
  • अध्यक्ष – तोल्काप्पियर
  • समय – ३,७०० वर्ष तक चला
  • सदस्य – ४९ सदस्य
  • सम्मिलित कवि – ३,७०० कवि
  • संरक्षक – ५९ पाण्ड्य शासक
  • रचना – एकमात्र उपलब्ध ग्रन्थ ‘तोल्काप्पियर’

द्वितीय संगम का विवरण

द्वितीय संगम का आयोजन कपाटपुरम् या अलैवाई (Kapatapuram or Alaivai) में किया गया। यह नगरी भी बाद में जलमग्न हो गयी।

द्वितीय संगम के संस्थापक अध्यक्षता का श्रेय भी अगस्त्य ऋषि को ही दिया गया है। परन्तु इसकी अध्यक्षता उनके ही शिष्य तोल्काप्पियर ने की थी। तोल्काप्पियर ऋषि अगस्त्य के १२ शिष्यों में से एक थे।

जैसा कि विवरण से ज्ञात होता है कि ऋथि अगस्त्य (अकट्टियार) दोनों संगमों में समान है। इसलिए यह स्पष्ट है कि दूसरा संगम पहले संगम का ही विस्तार था। हालाँकि पुराने मदुरा के नष्ट हो जाने के कारण इसे अलग स्थान पर आयोजित किया गया था।

इसमें कुल ४९ सदस्य सम्मिलित हुए जिसमें प्रमुख थे—

  • ऋषि अगस्त्य (Sage Agastya)
  • इरुंडायुर कुरुंगोलीमोसी (Irundayur Kurungolimosi)
  • वेल्लुरकाप्पियन (Vellurkappiyan) इत्यादि।

द्वितीय संगम को ५९ पाण्ड्य शासकों का संरक्षण प्राप्त हुआ।

परम्परा के अनुसार ३,७०० कवियों ने यहाँ अपनी रचनाओं के प्रकाशन की अनुमति प्राप्त की और यह संगम इतनी ही अवधि (३,७००) तक अबाधगति से चलता रहा।

द्वितीय संगम में संकलित रचनाएँ जिनका हमें उल्लेख मिलता है—

  • अकट्टियम (Akattiyam)
  • तोल्काप्पियम् (Tolkappiyam)
  • मपुराणम् (Mapuranam)
  • ईसै-नुनुक्कम् (Isai-Nunukkam)
  • भूतपुराणम् (Bhutapuranam)
  • काली (Kali)
  • कुरुकु (Kuruku)
  • वेन्दाली (Vendali)
  • व्यालमलायी (Vyalmalai) इत्यादि।

इसमें कुल ८,१५९ रचनाएँ संकलित की गयी परन्तु वे समुद्र में विलीन हो गयीं। अर्थात् तोल्काप्पियम् को छोड़कर हमें दूसरे संगम की अन्य कोई रचना उपलब्ध नहीं होती है।

इस संगम द्वारा संकलित ग्रन्थों में से एकमात्र रचना ‘तोल्काप्पियम्’ ही अवशिष्ट है। यह तमिल व्याकरण का ग्रन्थ है। ‘तोल्काप्पियम्’ की रचना का श्रेय अगस्त्य ऋषि के शिष्य तोल्काप्पियर को दिया जाता है। ऐसी मान्यता है कि प्राचीन मदुरा के समान द्वितीय संगम का केन्द्र कपाटपुरम् भी समुद्र में विलीन हो गयी।

प्रथम संगम या प्रथम तमिल संगम

तृतीय संगम या तृतीय तमिल संगम

संगमयुग की तिथि या संगम साहित्य का रचनाकाल

सुदूर दक्षिण के इतिहास की भौगोलिक पृष्ठभूमि

शिलप्पदिकारम् (नूपुर की कहानी) / Shilappadikaram (The Ankle Bracelet)

मणिमेकलै (मणि-युक्त कंगन) / Manimekalai

जीवक चिन्तामणि (Jivaka Chintamani)

तोलकाप्पियम् (Tolkappiyam) – तोल्काप्पियर 

एत्तुथोकै या अष्टसंग्रह (Ettuthokai or The Eight Collections)

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