तोंडैमान इलांडिरैयान (Tondaiman Ilandiraiyan)

भूमिका

करिकाल चोल (≈१९० ई०) के समकालीन कांची से शासन करने वाले तोंडैमान इलांडिरैयान का हमें उल्लेख मिलता है। उसका इतिहास मिथकों से आच्छादित है।

संक्षिप्त परिचय

  • नाम — तोंडैमान इलांडिरैयान या तोंडैमान इलांदिरैयान या तोण्डैमान इलन्दिरैयन या तोंडाइमन इलैंडिरायन (Tondaiman Ilandiraiyan), इलमतिरायण Ilamtiraiyan
  • करिकाल के समकालीन
  • कांची से शासन
  • स्वयं कवि थे
  • रुद्रनकन्नार कृत पट्टिनप्पालै में उल्लेख

तोंडैमान इलाडिरैयान (Tondaiman Ilandiraiyan)

  • करिकाल के समकालीन कांचीपुरम में शासन करने वाले तोंडैमान इलांडिरैयान (Tondaiman Ilandiraiyan) का उल्लेख मिलता है।
  • यह उल्लेख पट्टिनप्पपालै (Pattinappalai) के कवि रुद्रनकन्नार ने ‘दस गीत’ में एक अन्य कविता में किया है।
  • तोंडाइमन इलैंडिरायन के बारे में कहा जाता है कि वे भगवान विष्णु के वंशज थे और समुद्र की लहरों द्वारा दिये गये तिरैयार (Tiraiyar) के परिवार से थे।
  • तोंडैमान इलांडिरैयान स्वयं एक कवि थे और उनके द्वारा रचित चार गीत मौजूद हैं, उनमें से एक अच्छे शासन को बढ़ावा देने में राजा के व्यक्तिगत चरित्र के महत्त्व पर है।
  • तोंडाइमन इलैंडिरायन ने तोंडैमंडलम् (Tondaimandalam) से शासन किया इसीलिए सम्भवतः उनको तोंडमान (Tondaman) कहा जाता है।
  • इतिहासकार एस० कृष्णस्वामी आयंगर के अनुसार तोंडाइमन इलैंडिरायन पल्लव वंश का संस्थापक हैं, परन्तु इसकी पुष्टि के लिए और प्रमाणों की आवश्यकता है। आगे वे यह भी कहते हैं कि पल्लव तोंडैमंडलम् के मूल निवासी थे और पल्लव नाम तोंडैयार (Tondaiyar) के समान है।
  • विद्वान एम० अरोकियास्वामी तोंडैमान इलांडिरैयान की पहचान राजा अदोंदाई चक्रवर्ती (Adondai Chakravarthi) से स्थापित करते हैं, जो एक महान व्यक्ति हैं और जिनका उल्लेख मैकेंज़ी पांडुलिपियों (Mackenzie Manuscripts) में किया गया है।

जीवनवृत्त

संगमकालीन महाकाव्य मणिमेकलै के अनुसार —

  • चोल राजा किल्लि (Killi) और जाफना की नाग राजकुमारी पिलिवालई (Pilivalai) के घर एक पुत्र का जन्म हुआ।
  • राजकुमारी पिलिवालई (Pilivalai) मणिपल्लवम (Manipallavam) के राजा वलैवनन (Valaivanan) की पुत्री थीं।
  • जब लड़का बड़ा हुआ तो राजकुमारी अपने बेटे को चोल साम्राज्य में भेजना चाहती थी। इसलिए उसने राजकुमार को ऊनी कंबल बेचने वाले एक व्यापारी कंबाला चेट्टी (Kambala Chetty) को सौंप दिया।
  • जब उसका जहाज मणिपल्लवम द्वीप पर रुका। चोल साम्राज्य की यात्रा के दौरान खराब मौसम के कारण जहाज बर्बाद हो गया और लड़का खो गया।
  • बाद में वह अपने पैर के चारों ओर एक तोंडई या तोंडै टहनी (Tondai twig, creeper) में लिपटता हुआ समुद्र तट पर पाया गया। इसलिए उसे तोंडैमान इलम तिरैयन (Tondaiman Ilam Tiraiyan) कहा जाने लगा जिसका अर्थ है समुद्र या लहरों का बच्चा।
  • कुछ विद्वान उन्हें पल्लव वंश का पूर्वज मानते हैं और उनके द्वारा स्थापित राजवंश का नाम उनकी माता के पैतृक स्थान, मणिपल्लवम् के नाम पर रखा गया।
  • जब वह बालक बड़ा हुआ तो चोल साम्राज्य का उत्तरी भाग उन्हें सौंपा गया और जिस क्षेत्र पर उन्होंने शासन किया उसे उनके नाम पर तोंडैमंडलम (Tondaimandalam) कहा जाने लगा।
  • कुछ विद्वान उन्हें पल्लव वंश का पूर्वज मानते हैं और उनके द्वारा स्थापित राजवंश का नाम उनकी माँ के पैतृक स्थान मणिपल्लवम (Manipallavam) के नाम पर रखा गया।

ओट्टाकुथर (Ottakoothar) की ऐतिहासिक कविताओं उलस (Ulas) के अनुसार —

  • किल्लीवलावन (Killivalavan) ने बिल्वदरा (Bilvadara) नामक गुफा में प्रवेश करके एक नाग राजकुमारी से विवाह किया था।

यह भी कहा जाता है कि तिरैयान (Tiraiyan) एक चोल राजकुमार का पुत्र था जिसने नागपट्टिनम की उसी गुफा में प्रवेश करके पिलिवलई (Pilivalai) नामक नाग राजकुमारी से विवाह किया था।

यह इस विचार का समर्थन करता है तितिरैयान (Tiraiyan) किल्लि-वलवान (Killivalavan) का पुत्र था।

इतिहासकार पी० टी० श्रीनिवास आयंगर कहते हैं कि चोल नरेश करिकाल के शासनकाल के दौरान इलंदिरैयान (Ilandiraiyan) कांची के शासक बना। वह संभवतः करिकाल के अधीन एक सामंत था।

तोंडाइमन इलैंडिरायन का कविताओं में विवरण

रुद्रन कन्नार कृत पोरुनाररुप्पदै (Porunararruppadai) में इलंदिरैयान के राज्य और कांची का विवरण मिलता है। यह कवि ‘पुरस्कार-इच्छुक कवियों’ (poets seeking rewards) को तोंडैमान इलंदिरैयान की राजसभा में जाने का सुझाव देते हैं, क्योंकि वह (राजा) ‘कवियों का महान संरक्षक’ (the great patron of bards) है। पोरुनाररुप्पदै (Porunararruppadai) में ५०० पंक्तियाँ है जोकि अकवाल छंद में लिखी गयी हैं। इस कविता में इलंदिरैयान की प्रशंसा की गयी है। इसी में इलंदिरैयान के पौराणिक उत्पत्ति की बात की गयी है।

इलंदिरैयान स्वयं भी एक कवि था। उसके वर्तमान में भी चार कविताएँ उपलब्ध हैं। इसमें से एक कविता व्यक्तिगत चरित्र के महत्त्व और सुशासन के लाभों की चर्चा करती है।

पुरुनानुरू (Purunaruru) के छंद १८५ का श्रेय तोंडैमान इलंदिरैयान को दिया जाता है।

निष्कर्ष

तोंडैमान इलांडिरैया का जीवन वृत्त काव्यात्मक कल्पना और पौराणिक मिथकों से आच्छादित है। इसलिए ऐतिहासिक महत्त्व के तथ्यों की रचना में इसके सावधानी पूर्वक प्रयोग की आवश्यकता है। इसके सम्बन्ध बस इतना कहा जा सकता है कि वह करिकाल चोल का समकालीन था और काँची में शासन कर रहा था। यह सम्भव है कि उसका चोलों से कोई सम्बन्ध हो और यह भी सम्भव है कि पल्लव राजवंश का संस्थापक हो। परन्तु इस सम्बन्ध में कोई पुष्ट प्रमाण नहीं है। हाँ वह स्वयं कवि था और विद्वानों का संरक्षक था।

चोल वंश या चोल राज्य : संगमकाल (The Cholas or The Chola’s Kingdom : The Sangam Age)

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